य॒ज्ञानां॑ र॒थ्ये॑ व॒यं ति॒ग्मज॑म्भाय वी॒ळवे॑ । स्तोमै॑रिषेमा॒ग्नये॑ ॥
English Transliteration
yajñānāṁ rathye vayaṁ tigmajambhāya vīḻave | stomair iṣemāgnaye ||
Pad Path
य॒ज्ञाना॑म् । र॒थ्ये॑ । व॒यम् । ति॒ग्मऽज॑म्भाय । वी॒ळवे॑ । स्तोमैः॑ । इ॒षे॒म॒ । अ॒ग्नये॑ ॥ ८.४४.२७
Rigveda » Mandal:8» Sukta:44» Mantra:27
| Ashtak:6» Adhyay:3» Varga:41» Mantra:2
| Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:27
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - (अग्ने) हे सर्वगति ईश ! (हि) जिस कारण तू (वसुः) उपासकों का धनस्वरूप वा वास देनेवाला है (वसुपतिः) धनपति है और (विभावसुः+असि) प्रकाशमय धनवाला है, अतः हे भगवन् ! क्या हम उपासक (ते) तेरी (सुमतौ+अपि) कल्याणमयी बुद्धि में (स्याम) निवास कर सकते हैं। अर्थात् क्या हम उपासक तेरी कृपा प्राप्त कर सकते हैं ॥२४॥
Connotation: - ईश्वर महा धनपति है, वह परमोदार है, उसका धन प्रकाशरूप है, अतः हम मनुष्यों को उचित है कि अपने शुद्धाचरण से और सत्यता से उसकी कृपा और आशीर्वाद के पात्र बनें ॥२४॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे अग्ने ! हि=यस्माद्धेतोः। त्वम्। वसुः=समस्तधनो वासयिता वा असि। पुनः। वसुपतिः=धनपतिः। पुनः। विभावसुः=दीप्तिधनोऽसि। कमिति निश्चयः। अतः हे देव ! ते=तव। सुमतौ=कल्याण्यां मतौ। अपि। वयं स्याम=भवेम ॥२४॥