युवा॑नं वि॒श्पतिं॑ क॒विं वि॒श्वादं॑ पुरु॒वेप॑सम् । अ॒ग्निं शु॑म्भामि॒ मन्म॑भिः ॥
English Transliteration
yuvānaṁ viśpatiṁ kaviṁ viśvādam puruvepasam | agniṁ śumbhāmi manmabhiḥ ||
Pad Path
युवा॑नम् । वि॒श्पति॑म् । क॒विम् । वि॒श्व॒ऽअद॑म् । पु॒रु॒ऽवेप॑सम् । अ॒ग्निम् । शु॒म्भा॒मि॒ । मन्म॑ऽभिः ॥ ८.४४.२६
Rigveda » Mandal:8» Sukta:44» Mantra:26
| Ashtak:6» Adhyay:3» Varga:41» Mantra:1
| Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:26
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - (अग्ने) हे सर्वशक्ते सर्वाधार ईश ! (यद्) यदि (अहम्) मैं (त्वम्) तू (स्याम्) होऊँ, यदि वा (त्वम्) तू (अहम्+स्याः) मैं हो, तब (ते) तेरे (आशिषः) समस्त आशीर्वचन (सत्याः+स्युः) सत्य होवें ॥२३॥
Connotation: - इसका आशय यह प्रतीत होता है कि मनुष्य अपनी न्यूनता के कारण ईश्वर से विविध कामनाएँ चाहता है, किन्तु अपनी सब कामनाओं को पूर्ण होते न देख इष्टदेव में दोष लगाता है। अतः आकुल होकर कभी-२ उपासक इष्टदेव से प्रार्थना करता है कि हे देव ! मेरी आवश्यकता आप नहीं समझते। यदि आप मेरी दशा में रहते, तब आपको मालूम होता कि दुःख क्या वस्तु है। आपको कदाचित् दुःख का अनुभव नहीं है, अतः आप मेरी दुःखमयी प्रार्थना पर ध्यान नहीं देते, इत्यादि ॥२३॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - अग्ने ! यद्=यदि। अहं त्वं स्याम्। त्वं वा अहं स्याः। तर्हि। इह ते=तव। आशिषः। सत्याः स्युर्भवेयुः ॥२३॥