अग्ने॑ धृ॒तव्र॑ताय ते समु॒द्राये॑व॒ सिन्ध॑वः । गिरो॑ वा॒श्रास॑ ईरते ॥
English Transliteration
agne dhṛtavratāya te samudrāyeva sindhavaḥ | giro vāśrāsa īrate ||
Pad Path
अग्ने॑ । धृ॒तऽव्र॑ताय । ते॒ । स॒मु॒द्राय॑ऽइव । सिन्ध॑वः । गिरः॑ । वा॒श्रासः॑ । ई॒र॒ते॒ ॥ ८.४४.२५
Rigveda » Mandal:8» Sukta:44» Mantra:25
| Ashtak:6» Adhyay:3» Varga:40» Mantra:5
| Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:25
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - (अग्ने) हे सर्वगति सर्वशक्ति ईश ! (मम) मेरे (धीतयः) सम्पूर्ण ध्यान, समस्त कर्म और (गिरः) सर्व वचन विद्याएँ और स्तुतियाँ (त्वा) तेरी ही कीर्ति को (उप+वर्धन्तु) बढ़ावें। (अग्ने) हे ईश ! (नः+सख्यस्य) हमारी मित्रता को (बोधि) स्मरण रखिये ॥२२॥
Connotation: - हे मनुष्यों ! तुम्हारे ध्यान ईश्वर के गुण बढ़ानेवाले हों, तुम्हारे वचन भी उसी की कीर्ति बढ़ावें और गावें, उसी की शरण में तुम पहुँचो। तब ही तुमको वह मित्र के समान ग्रहण करेगा ॥२२॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे अग्ने ! मम। धीतयः=ध्यानानि, सर्वाणि कर्माणि च। पुनः गिरोवचनानि विद्याः स्तुतयश्च। विश्वहा=सर्वाणि अहानि सर्वदा। त्वामेव। उपवर्धन्तु=वर्धयन्तु। हे अग्ने ! नोऽस्माकम्। सख्यस्य। सख्यं बोधि=बुध्यस्व=जानीहि ॥२२॥