स नो॑ मित्रमह॒स्त्वमग्ने॑ शु॒क्रेण॑ शो॒चिषा॑ । दे॒वैरा स॑त्सि ब॒र्हिषि॑ ॥
English Transliteration
sa no mitramahas tvam agne śukreṇa śociṣā | devair ā satsi barhiṣi ||
Pad Path
सः । नः॒ । मि॒त्र॒ऽम॒हः॒ । त्वम् । अग्ने॑ । शु॒क्रेण॑ । शो॒चिषा॑ । दे॒वैः । आ । स॒त्सि॒ । ब॒र्हिषि॑ ॥ ८.४४.१४
Rigveda » Mandal:8» Sukta:44» Mantra:14
| Ashtak:6» Adhyay:3» Varga:38» Mantra:4
| Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:14
Reads times
SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - (देव) हे देवाधिदेव ! (सहस्कृत) संसारकर्ता (अग्ने) सर्वशक्ते सर्वाधार परमात्मन् ! (नः+प्रति) हम उपासकों को (रिषतः) हिंसक पुरुष से (नि+पाहि) अच्छे प्रकार बचाओ। तथा (द्वेषः) जगत् के द्वेषियों को (भिन्धि) विदीर्ण कर यहाँ से उठा लो ॥११॥
Connotation: - प्रत्येक आदमी यदि द्वेष छोड़ता जाए, तो द्वेषी कहाँ रहेगा। जब अपने पर आपत्ति आती है, तब आदमी ईश्वर और सत्यता की पुकार मचाता है। इस अवस्था में प्रत्येक मनुष्य को विचार-कर देखना चाहिये कि द्वेष कहाँ से आता है। अपनी-अपनी भावी आपत्ति देख यदि आदमी अन्याय और असत्यता से निवृत्त हो जाए, तो कितना सुख पहुँचे। यही शिक्षा इस मन्त्र द्वारा दी जाती है ॥११॥
Reads times
SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे देव ! हे सहस्कृत=संसारकर्तः ! अग्ने=सर्वशक्ते ! परमात्मन् ! त्वम्। नोऽस्मान् प्रति। रिषतः=हिंसतः पुरुषात्। नि पाहि स्म=नितरां पाहि। स्मेति पूरणः। तथा। द्वेषः=द्वेष्टॄन्। भिन्धि=विदारय ॥११॥