स त्वम॑ग्ने वि॒भाव॑सुः सृ॒जन्त्सूर्यो॒ न र॒श्मिभि॑: । शर्ध॒न्तमां॑सि जिघ्नसे ॥
English Transliteration
sa tvam agne vibhāvasuḥ sṛjan sūryo na raśmibhiḥ | śardhan tamāṁsi jighnase ||
Pad Path
सः । त्वम् । अ॒ग्ने॒ । वि॒भाऽव॑सुः । सृ॒जन् । सूर्यः॑ । न । र॒श्मिऽभिः॑ । शर्ध॑न् । तमां॑सि । जि॒घ्न॒से॒ ॥ ८.४३.३२
Rigveda » Mandal:8» Sukta:43» Mantra:32
| Ashtak:6» Adhyay:3» Varga:35» Mantra:2
| Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:32
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे परमदेव ! (ते+इमे) वे ये दृश्यमान (जनाः) स्त्री-पुरुषमय जगत् तथा (विश्वाः) ये समस्त (सुक्षितयः) चराचर प्रजाएँ (धासिम्+अत्तवे) निज-२ आहार की प्राप्ति के लिये (तुभ्यम्+घ) तुझको ही (पृथक्) पृथक्-२ (हिन्वन्ति) प्रसन्न करती हैं ॥२९॥
Connotation: - उसी की कृपा से अन्न की भी प्राप्ति होती है, वायु, जल और सूर्य्य का प्रकाश ये तीनों प्राणियों के अस्तित्व के परम साधन हैं, जिनके विना क्षणमात्र भी प्राणी नहीं रह सकता। उनको इसने बहुत-२ राशि में बना रक्खा है। तथापि इनको छोड़ विविध गेहूँ, जौ आदि अन्नों की आवश्यकता है। इन अन्नों को परमात्मा दान दे रहा है, अतः वही देव उपास्य पूज्य है ॥२९॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! ते इमे जनाः। इमाश्च विश्वाः सर्वाः सुक्षितयः=प्रजाः। धासिमन्नम्। अत्तवे=अदनाय। अन्नानां प्राप्तये इत्यर्थः। तुभ्यं घ=तुभ्यमेव पृथक्। हिन्वन्ति=प्रीणयन्ति स्तुतिभिः ॥२९॥