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अग्ने॒ भ्रात॒: सह॑स्कृत॒ रोहि॑दश्व॒ शुचि॑व्रत । इ॒मं स्तोमं॑ जुषस्व मे ॥

English Transliteration

agne bhrātaḥ sahaskṛta rohidaśva śucivrata | imaṁ stomaṁ juṣasva me ||

Pad Path

अग्ने॑ । भ्रा॒त॒रिति॑ । सहः॑ऽकृत । रोहि॑त्ऽअश्व । शुचि॑ऽव्रत । इ॒मम् । स्तोम॑म् । जु॒ष॒स्व॒ । मे॒ ॥ ८.४३.१६

Rigveda » Mandal:8» Sukta:43» Mantra:16 | Ashtak:6» Adhyay:3» Varga:32» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:16


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (शुचे) हे परमपवित्र (अग्ने) हे सबमें गति देनेवाले (आहुत) हे पूज्यतम विश्वेश्वर ! (उत) और (त्वा) आपको (भृगुवत्) भृगु के समान (मनुष्वत्) मनु के समान और (अङ्गिरस्वत्) अङ्गिरा के समान हम उपासकगण (हवामहे) पूजते हैं ॥१३॥
Footnote: भृगु=भ्रस्ज पाके। जो जन तपस्या कठिन व्रत आदि में परिपक्व हो, वह भृगु। मनु=मन अवबोधने। जो मनन करने में निपुण हो, जो सब विषयों को अच्छी तरह समझता हो। अङ्गिरा=जो सदा परमात्मा का यह सम्पूर्ण जगत् अङ्गवत् है, अतः उसको अङ्गी कहते हैं, उस अङ्गि में जो रत हो, वह अङ्गिराः। अथवा जो अङ्गों का रस हो, जो आग्नेय विद्या में निपुण हो, जो अग्नितत्त्व को समझने समझानेवाला हो, इत्यादि अनेक अर्थ इस शब्द के प्राचीन करते आए हैं ॥१३॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे शुचे ! पवित्रतम हे अग्ने सर्वगतिप्रद ! हे आहुत=पूजित हे ईश ! उत। त्वा। भृगुवत्। मनुष्वत्। तथा अङ्गिरस्वत्। वयम्। हवामहे ॥१३॥