प॒थ एक॑: पीपाय॒ तस्क॑रो यथाँ ए॒ष वे॑द निधी॒नाम् ॥
English Transliteration
patha ekaḥ pīpāya taskaro yathām̐ eṣa veda nidhīnām ||
Pad Path
प॒थः । एकः॑ । पी॒पा॒य॒ । तस्क॑रः । य॒था॒ । ए॒षः । वे॒द॒ । नि॒ऽधी॒नाम् ॥ ८.२९.६
Rigveda » Mandal:8» Sukta:29» Mantra:6
| Ashtak:6» Adhyay:2» Varga:36» Mantra:6
| Mandal:8» Anuvak:4» Mantra:6
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SHIV SHANKAR SHARMA
हस्तदेव का गुण दिखलाते हैं।
Word-Meaning: - (एकः) एक हस्तरूप देव (पथः) इन्द्रियों के मार्गों की (पीपाय) रक्षा करते हैं। (एषः) यह देव (निधीनाम्) निहित धनों को (वेद) जानता है। हस्त सर्व इन्द्रियों की रक्षा करता है, यह तो प्रत्यक्ष ही है और जब किसी अङ्ग में कुछ भी शुभ वा अशुभ होता है, तब शीघ्र ही हस्त जान लेता है, जानकर शीघ्र वहाँ दौड़ जाता है। यहाँ दृष्टान्त कहते हैं (तस्करः+यथा) जैसे चोर धनहरणार्थ पथिकों के मार्ग की रक्षा करता है और गृह में निहित धनों को जान वहाँ से चोरी कर अपने बान्धवों को देता है। तद्वत् ॥६॥
Connotation: - प्रत्येक कर्मेन्द्रिय का गुण अध्येतव्य है। हाथ से हम उपासक क्या-२ काम ले सकते हैं, इसमें कितनी शक्ति है और इसको कैसे उपकार में लगावें, इत्यादि विचार करे ॥६॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
हस्तदेवं दर्शयति।
Word-Meaning: - एको हस्तदेवः। पथः=सर्वेषामिन्द्रियाणां मार्गान्। पीपाय=रक्षति। प्यायतिर्वर्धनार्थः। अत्र रक्षार्थः। एष देवः। निधीनाम्=तत्र तत्र निहितानां धनानाम्। वेद=निधीन् जानाति। हस्तस्तु सर्वाणि इन्द्रियाणि रक्षतीति प्रत्यक्षमेव। यदा किञ्चिदपि कस्मिंश्चिदङ्गे शुभमशुभं वा जायते तदा शीघ्रमेव हस्तो जानाति। ज्ञात्वा तत्र शीघ्रं प्रयाति। अत्र दृष्टान्तः। तस्करो यथा। यथा कश्चिच्चोरो धनहरणाय पथिकानां मार्गं पालयति। गृहे निहितानि धनानि ज्ञात्वा तदाहृत्य स्वबान्धवेभ्यो ददाति। तद्वदित्यर्थः ॥६॥