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वंस्वा॑ नो॒ वार्या॑ पु॒रु वंस्व॑ रा॒यः पु॑रु॒स्पृह॑: । सु॒वीर्य॑स्य प्र॒जाव॑तो॒ यश॑स्वतः ॥

English Transliteration

vaṁsvā no vāryā puru vaṁsva rāyaḥ puruspṛhaḥ | suvīryasya prajāvato yaśasvataḥ ||

Pad Path

वंस्व॑ । नः॒ । वार्या॑ । पु॒रु । वंस्व॑ । रा॒यः । पु॒रु॒ऽस्पृहः॑ । सु॒ऽवीर्य॑स्य । प्र॒जाऽव॑तः । यश॑स्वतः ॥ ८.२३.२७

Rigveda » Mandal:8» Sukta:23» Mantra:27 | Ashtak:6» Adhyay:2» Varga:14» Mantra:2 | Mandal:8» Anuvak:4» Mantra:27


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः वही विषय कहते हैं।

Word-Meaning: - हे ईश ! (नः) हम लोगों को (वार्या) वरणीय (पुरु) बहुत से धन (वंस्व) दे और (रायः) विविध सम्पत्तियाँ और अभ्युदय (वंस्व) दे, जो सम्पत्तियाँ (पुरुस्पृहः) बहुतों से स्पृहणीय हों, (सुवीर्यस्य) पुत्र-पौत्रादि वीरोपेत (प्रजावतः) सन्ततिमान् (यशस्वतः) और कीर्तिमान् हों ॥२७॥
Connotation: - ऐहिक-लौकिक धन वही प्रशस्य है, जो धन सन्तति, पशु, हिरण्य और यश से संयुक्त हो ॥२७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे शूरपते ! (नः) आप हमारे लिये (पुरु, वार्या) अनेक वरणीय पदार्थ (वंस्व) प्रदान करें (पुरुस्पृहः, रायः) अनेकों से स्पृहणीय धनों को (वंस्व) प्रदान करें (सुवीर्यस्य) सुन्दर वीर्यवाले (प्रजावतः) प्रजासहित (यशस्वतः) यशसहित सामर्थ्य को प्रदान करें ॥२७॥
Connotation: - उन शूरवीर योद्धाओं को उचित है कि अनेक वरणीय पदार्थ तथा विविध प्रकार का धन, जो उन्होंने अपने अपूर्व बल से दिग्विजय द्वारा उपलब्ध किया है, उसको यज्ञ में आकर समर्पित करें ॥२७॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तमर्थमाह।

Word-Meaning: - हे ईश ! नः=अस्मभ्यम्। वार्या=वरणीयानि। पुरु=पुरूणि=बहूनि धनानि। वंस्व=देहि। पुनः। पुरुस्पृहः=बहुभिः स्पृहणीयस्य। सुवीर्यस्य= पुत्रपौत्रादिवीरोपेतस्य। प्रजावतः=सन्ततिमतो जनवतो वा। यशस्वतः=कीर्तिमतः। रायः=सम्पदः। वंस्व=देहि। सर्वत्रात्र कर्मणि षष्ठी ॥२७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे शूरपते ! (नः) अस्मभ्यम् (पुरु, वार्या) बहुवार्याणि (वंस्व) प्रयच्छ (पुरुस्पृहः, रायः) बहुस्पृहणीयानि धनानि (वंस्व) प्रयच्छ (सुवीर्यस्य) सुवीर्यम् (प्रजावतः) प्रजावन्तम् (यशस्वतः) यशस्वत् प्रयच्छ ॥२७॥