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आ सुग्म्या॑य॒ सुग्म्यं॑ प्रा॒ता रथे॑ना॒श्विना॑ वा स॒क्षणी॑ । हु॒वे पि॒तेव॒ सोभ॑री ॥

English Transliteration

ā sugmyāya sugmyam prātā rathenāśvinā vā sakṣaṇī | huve piteva sobharī ||

Pad Path

आ । सुग्म्या॑य । सुग्म्य॑म् । प्रा॒तरिति॑ । रथे॑न । अ॒श्विना॑ । वा॒ । स॒क्षणी॒ इति॑ । हु॒वे । पि॒ताऽइ॑व । सोभ॑री ॥ ८.२२.१५

Rigveda » Mandal:8» Sukta:22» Mantra:15 | Ashtak:6» Adhyay:2» Varga:7» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:4» Mantra:15


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः वही विषय आ रहा है।

Word-Meaning: - (सक्षणी) हे सेवनीयशील (अश्विना) हे राजन् ! तथा मन्त्रिदल आप दोनों (सुग्म्याय) सुखयोग्य पुरुष को (सुग्म्यम्) सुख (प्रातः) प्रातःकाल ही (रथेन) रथ से (आ) अच्छे प्रकार पहुँचावें। हे राजन् ! (सोभरी) मैं विद्वान् (पिता+इव्) अपने पिता-पितामह आदि के समान (हुवे) आपकी स्तुति करता हूँ ॥१५॥
Connotation: - राजवर्ग को उचित है कि वे प्रातःकाल उठकर नित्यकर्म करने के पश्चात् प्रजावर्गों की ख़बर लेवें ॥१५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अश्विना) हे व्यापकशक्तिवाले (सक्षणी) सेव्य ! आप (सुग्म्याय) आपका सेवक होने से सुखोचित मुझको (सुग्म्यम्) सुख (आ) आहरण करें (सोभरी) महर्षिपुत्र मैं (प्रातः, वा) प्रातःकाल ही (पितेव) अपने पिता के समान (रथेन, हुवे) रथद्वारा आपको आह्वान करता हूँ ॥१५॥
Connotation: - हे सेवनीय न्यायाधीश तथा सेनाधीश ! हम ऋषिसन्तान प्रातःस्मरणीय पिता के समान आपको आह्वान करते हैं, आप हमारे यज्ञसदन को प्राप्त होकर सुखवृष्टि करें ॥१५॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तदनुवर्तते।

Word-Meaning: - वा=अपि च। हे सक्षणी=सेवनीयशीलौ। अश्विना=अश्विनौ=राजानौ ! युवाम्। सुग्म्याय=सुखयोग्याय पुरुषाय। सुग्म्यम्=सुखम्। प्रातरेव। रथेनावहतम्। सोभरी=सोभरिर्विद्वान्। पितेव=यथा मम पिता पितामहादयश्च युवामाहूतवन्तः। तथैवाहमपि। हुवे=आह्वयामि=प्रार्थयामि ॥१५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अश्विना) हे अश्विनौ (सक्षणी) सेव्यौ ! (सुग्म्याय) सुखार्हायास्मै (सुग्म्यम्) सुखम् (आ) आवहताम् (सोभरी) विद्वान् अहम् (प्रातः, वा) प्रातरेव (रथेन, हुवे) रथहारेण ह्वयामि (पितेव) यथा मत्पिता ॥१५॥