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स्व॒धामनु॒ श्रियं॒ नरो॒ महि॑ त्वे॒षा अम॑वन्तो॒ वृष॑प्सवः । वह॑न्ते॒ अह्रु॑तप्सवः ॥

English Transliteration

svadhām anu śriyaṁ naro mahi tveṣā amavanto vṛṣapsavaḥ | vahante ahrutapsavaḥ ||

Pad Path

स्व॒धाम् । अनु॑ । श्रिय॑म् । नरः॑ । महि॑ । त्वे॒षाः । अम॑ऽवन्तः । वृष॑ऽप्सवः । वह॑न्ते । अह्रु॑तऽप्सवः ॥ ८.२०.७

Rigveda » Mandal:8» Sukta:20» Mantra:7 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:37» Mantra:2 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:7


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः सेनाएँ कैसी होवें, यह दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (नरः) ये जगन्नेता मरुद्गण (स्वधाम्+अनु) जब देश की रक्षा करते हैं, तब (महि) अतिशय (श्रियम्) शोभा को (वहन्ते) धारण करते हैं, वे कैसे हैं (त्वेषाः) अत्यन्त प्रकाशित, पुनः (अमवन्तः) परम बलिष्ठ, पुनः (वृषप्सवः) जिनके रूप से करुणत्व टपक रहा हो, पुनः (अह्रुतप्सवः) अकुटिलरूप अर्थात् जिनकी गति कुटिलता से युक्त न हो ॥७॥
Connotation: - सेना को उचित है कि वह अपने देश की सर्व प्रकार से रक्षा करे, वे स्वयं अपने आचरण से दीप्तिमान् और करुणानन्द हों और उनके प्रत्येक कार्य्य सरल हों ॥७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (नरः) नेता (त्वेषाः) दीप्तिमान् (अमवन्तः) बलवाले (वृषप्सवः) कामनाप्रदरूपवाले (अहुतप्सवः) अकुटिल रूपवाले शूर लोग (स्वधाम्, अनु) उपभोग्य पदार्थों के उद्देश्य से (महि, श्रियम्) महती शोभा को (वहन्ते) धारण करते हैं ॥७॥
Connotation: - इस मन्त्र का भाव यह है कि जो शूरवीर नेतागण प्रजा के हितार्थ स्वधर्मपालन तथा राज्यलक्ष्मी की रक्षा के लिये युद्ध करते हैं, उनकी शोभा=कीर्ति भूमण्डल में चहुँदिक् फैल जाती है और वे श्रीसम्पन्न होकर अत्यन्त शोभायमान होते हैं, अतएव स्वधर्म, स्वजाति तथा स्वदेश के लिये जो नेतागण युद्धस्थल में पदार्पण करते हैं, वे अपने धर्म का पालन करने के कारण महती कीर्ति तथा महदैश्वर्य्य को प्राप्त होकर देश को सुरक्षित रखते हैं ॥७॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः सेनाः कीदृश्यो भवेयुरिति दर्शयति।

Word-Meaning: - इमे नरः=नेतारो मरुतः। स्वधाम्+अनु=स्वधा=स्वभावः स्वेषां धारणं वा। स्वकीयदेशादिधारणमनुलक्ष्य। महि=महतीम्। श्रियम्=शोभाम्। वहन्ते। यदा एते स्वदेशादिकं रक्षन्ति तदैवैषां शोभा जायत इत्यर्थः। कीदृशा एते। त्वेषाः=दीप्ताः। पुनः। अमवन्तः=बलवन्तः। पुनः। वृषप्सवः=वर्षणशीलरूपाः। पुनः। अह्रुतप्सवः=अकुटिलरूपाश्च ॥७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (नरः) नेतारः (त्वेषाः) दीप्तिमन्तः (अमवन्तः) बलवन्तः (वृषप्सवः) इष्टवर्षणरूपाः (अहुतप्सवः) सरलरूपाः ते (स्वधाम्, अनु) उपभोगार्हपदार्थमुद्दिश्य (महि, श्रियम्) महतीं शोभाम् (वहन्ते) दधति ॥७॥