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मरु॑तो॒ मारु॑तस्य न॒ आ भे॑ष॒जस्य॑ वहता सुदानवः । यू॒यं स॑खायः सप्तयः ॥

English Transliteration

maruto mārutasya na ā bheṣajasya vahatā sudānavaḥ | yūyaṁ sakhāyaḥ saptayaḥ ||

Pad Path

मरु॑तः । मारु॑तस्य । नः॒ । आ । भे॒ष॒जस्य॑ । व॒ह॒त॒ । सु॒ऽदा॒न॒वः॒ । यू॒यम् । स॒खा॒यः॒ । स॒प्त॒यः॒ ॥ ८.२०.२३

Rigveda » Mandal:8» Sukta:20» Mantra:23 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:40» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:23


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः वही विषय कहते हैं।

Word-Meaning: - (सुदानवः) हे शोभनदानयुक्त (सखायः) हे मित्रों (सप्तयः) रक्षार्थ इतस्ततः गमनशील (मरुतः) मरुद्गण ! (यूयम्) आप (मारुतस्य) स्वसम्बन्धी (भेषजस्य) विविध प्रकार की औषध (नः) हम लोगों के उपकारार्थ (आ+वहत) लावें ॥२३॥
Connotation: - सैनिकजनों को प्रजाओं के उपकारार्थ विविध औषधों का भी प्रस्तुत करना एक मुख्य काम है ॥२३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (मरुतः) हे योद्धाओ ! (यूयम्) आप लोग (सखायः) हम सबके मित्र हैं तथा (सप्तयः) सर्वत्र जाने में समर्थ हैं और (सुदानवः) प्रजाओं को देने के स्वभाववाले भी हैं इससे (नः) हमको अनावृष्टि आदि आपत्ति पड़ने पर (मारुतस्य) स्वरक्षा द्वारा सम्पन्न किये हुए अन्यदेशीय (भेषजस्य) अन्नादि भेषज को “मारुतस्य भेषजस्य” यह कर्म में षष्ठी है (आवहत) लाकर प्राप्त कराएँ ॥२३॥
Connotation: - हे शूर वीर योद्धाओ ! आप हम प्रजाजनों के मित्र और सर्वत्र जाने में समर्थ अर्थात् आप लोग अव्याहतगतिवाले हैं, अतएव अनावृष्टि तथा अन्य विपत्ति पड़ने पर दूसरे देशों से अन्नादि खाद्य पदार्थ लाकर हमारी रक्षा करें, जिससे हम अकाल द्वारा पीड़ित न हों ॥२३॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तमर्थमाह।

Word-Meaning: - हे सुदानवः। हे सखायः। हे सप्तयः=रक्षायै इतस्ततः सर्पणशीलाः। मरुतः ! यूयम्। नः। मारुतस्य=स्वसम्बन्धिनः। भेषजस्य। आवहत=आनयत। भेषजमानयतेत्यर्थः ॥२३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (मरुतः) हे योद्धारः ! (यूयम्) यूयं सर्वे (सखायः) अस्माकं मित्राणि (सप्तयः) सर्वत्र सर्पणशीलाश्च (सुदानवः) सम्यग्दानशीलाश्च अतः (नः) अस्मान् (मारुतस्य) स्वरक्षया समुत्सृष्टं दूरदेशस्थमपि (भेषजस्य) भेषजमन्नादि अवग्रहकाले “कर्मणि षष्ठी” (आवहत) आनीय प्रापयत ॥२३॥