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तान्व॑न्दस्व म॒रुत॒स्ताँ उप॑ स्तुहि॒ तेषां॒ हि धुनी॑नाम् । अ॒राणां॒ न च॑र॒मस्तदे॑षां दा॒ना म॒ह्ना तदे॑षाम् ॥

English Transliteration

tān vandasva marutas tām̐ upa stuhi teṣāṁ hi dhunīnām | arāṇāṁ na caramas tad eṣāṁ dānā mahnā tad eṣām ||

Pad Path

तान् । व॒न्द॒स्व॒ । म॒रुतः॑ । तान् । उप॑ । स्तु॒हि॒ । तेषा॑म् । हि । धुनी॑नाम् । अ॒राणा॑म् । न । च॒र॒मः । तत् । ए॒षा॒म् । दा॒ना । म॒ह्ना । तत् । ए॒षा॒म् ॥ ८.२०.१४

Rigveda » Mandal:8» Sukta:20» Mantra:14 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:38» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:14


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः वही विषय आ रहा है।

Word-Meaning: - हे प्रजागण (तान्+मरुतः) उन सैनिकजनों की (वन्दस्व) वन्दना करो (तान्) उनके (उप+स्तुति) समीप जाकर स्तुति करो (हि) क्योंकि (तेषाम्+धुनीनाम्) दुष्टों के कँपानेवाले उन मरुद्गणों की रक्षा में हम सब कोई वास करते हैं (न) जैसे (अराणाम्) श्रेष्ठ पुरुषों का (चरमः) पुत्रादि रक्षणीय होता है, तद्वत् हम लोग सैनिकजनों के रक्षणीय हैं, (तद्+एषाम्) इसलिये इनके (दाना) दान भी (मह्ना) महत्त्वयुक्त हैं। (तद्+एषाम्) इसलिये इनकी स्तुति आदि करनी चाहिये ॥१४॥–
Connotation: - अच्छी सेना की प्रशंसा करनी चाहिये ॥१४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे प्रजावर्ग ! (तान्, मरुतः) उन शूरों की (वन्दस्व) वन्दना कर (तान्, उपस्तुहि) उन्हीं की प्रशंसा कर (हि) क्योंकि (धुनीनाम्) शूर शत्रुओं को कंपानेवाले (तेषाम्, अराणाम्, मरुताम्) उन पालक वीरों का (चरमः, न) तू रक्षणीय दाससदृश है (तत्) जो (एषाम्, दाना) इन लोगों के दान (मह्वा) प्रतिष्ठा बढ़ानेवाले हैं (तदेषाम्) जो इनके दान प्रतिष्ठा बढ़ानेवाले हैं। मन्त्र में “तदेषां” पद दो बार आदरार्थ और आशय को दृढ़ करने के लिये आया है ॥१४॥
Connotation: - सम्पूर्ण प्रजाजनों को उचित है कि वह प्रतिष्ठा बढ़ानेवाले तथा अन्नादि भोग्यपदार्थों का दान देनेवाले योद्धाओं की वन्दना तथा स्तुति करें अर्थात् उनकी तन, मन, धन से सदैव सेवा करते रहें, जिससे वे प्रसन्न होकर अनुग्रहपूर्वक सब कामनाओं को पूर्ण करें ॥१४॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तदनुवर्त्तते।

Word-Meaning: - हे प्रजागण ! तान् वन्दस्व। तान् मरुतः। उपस्तुहि। हि=यतः। तेषां धुनीनाम्=दुष्टकम्पयितॄणाम्। रक्षायां वयं स्मः। न=यथा। अराणाम्=श्रेष्ठपुरुषाणाम्। चरमः पुत्रादिः रक्षणीयो भवति। तदेषां मरुताम्। दाना=दानानि। मह्नः=महत्त्वेन युक्तानि सन्ति। तदेषामिति द्विरुक्तिरर्थगौरवात् ॥१४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - हे प्रजाजन ! (तान्, मरुतः) ताञ्छूरान् (वन्दस्व) अभिवादय (तान्, उपस्तुहि) तानेव प्रशंस (हि) यतः (धुनीनाम्) कम्पयितॄणाम् (तेषाम्) तेषां मरुताम् (अराणाम्) स्वामिनाम् (चरमः, न) त्वं सेवक इवासि (तत्) तस्मात् (एषाम्, दाना) एषां दानानि (मह्वा) महत्त्वयुक्तानि (तदेषाम्) तदेषां दानानि महान्त्येव द्विरुक्तिरादरार्था आशयदृढीकरणार्था च ॥१४॥