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वृ॒ष॒ण॒श्वेन॑ मरुतो॒ वृष॑प्सुना॒ रथे॑न॒ वृष॑नाभिना । आ श्ये॒नासो॒ न प॒क्षिणो॒ वृथा॑ नरो ह॒व्या नो॑ वी॒तये॑ गत ॥

English Transliteration

vṛṣaṇaśvena maruto vṛṣapsunā rathena vṛṣanābhinā | ā śyenāso na pakṣiṇo vṛthā naro havyā no vītaye gata ||

Pad Path

वृ॒ष॒ण॒श्वेन॑ । म॒रु॒तः॒ । वृष॑ऽप्सुना । रथे॑न । वृष॑ऽनाभिना । आ । श्ये॒नासः॑ । न । प॒क्षिणः॑ । वृथा॑ । न॒रः॒ । ह॒व्या । नः॒ । वी॒तये॑ ग॒त॒ ॥ ८.२०.१०

Rigveda » Mandal:8» Sukta:20» Mantra:10 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:37» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:10


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः वही विषय आ रहा है।

Word-Meaning: - (नरः) हे मनुष्यों के नेता (मरुतः) मरुद्गण आप (नः) हमारे (हव्या) निखिल पदार्थों की (वृथा) अनायास (वीतये) रक्षा के लिये (रथेन) रथ पर चढ़कर (आ+गत) आवें। कैसा रथ हो (वृषणाश्वेन) जो बलिष्ठ अश्वों से युक्त हो, जो (वृषप्सुना) धनादिकों की वर्षा करनेवाला हो, पुनः (वृषनाभिना) जिसके मध्यस्थान भी धनादिवर्षक हों। आगमन में दृष्टान्त देते हैं−(न) जैसे (श्येनासः) श्येन नाम के (पक्षिणः) पक्षी बड़े वेग से उड़कर दौड़ते हैं, तद्वत् ॥१०॥
Connotation: - प्रजा के कार्य में किञ्चित् भी विलम्ब वे न करें और अपने साथ नाना पदार्थ लेकर चलें। जहाँ जैसी आवश्यकता देखें, वहाँ वैसा करें ॥१०॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (नरः) हे नेता (मरुतः) शत्रुनाशक वीरो ! आप (वृषणश्वेन) इष्टगामी अश्वयुक्त (वृषप्सुना) कामनाप्रदरूप को धारण करनेवाले (वृषनाभिना) दृढ़नाभि=चक्रछिद्रवाले (रथेन) रथ द्वारा (नः) हमारे (हव्या, वीतये) हव्य=दातव्य भाग को सेवन करने के लिये (श्येनासः, पक्षिणः, न) श्येन पक्षी के समान निर्भीक होकर (आगत) आवें ॥१०॥
Connotation: - हे शत्रुनाशक वीरो ! आप शीघ्रगामी रथों द्वारा अपना दातव्यभाग लेने के लिये शीघ्र आवें और श्येन=वाज के समान प्रतिपक्षियों को अपने आक्रमण से निर्बल करके सम्पूर्ण जनता से दातव्य भाग प्राप्त कर अपना कर्तव्य पालन करें अर्थात् हमारी सब ओर से रक्षा करते हुए हमें सुखसम्पन्न करें ॥१०॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तदनुवर्त्तते।

Word-Meaning: - हे नरः=हे जनानां नेतारो मरुतः। नोऽस्माकम्। हव्या=हव्यानि=निखिलवस्तूनि। वृथा=अनायासेन। वीतये=रक्षार्थम्। श्येनासो न पक्षिणः=श्येनाः पक्षिण इव। रथेन। आ+गत=आगच्छत। कीदृशेन रथेन। वृषणाश्वेन= बलिष्ठाश्वयुक्तेन। पुनः। वृषप्सुना=वर्षकरूपयुक्तेन। पुनः। वृषनाभिना=वर्षकनाभियुक्तेन। नाभिश्चक्रच्छिद्रम् ॥१०॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (नरः) हे नेतारः (मरुतः) शूराः (वृषणश्वेन) इष्टगाम्यश्वेन (वृषप्सुना) स्वयमपि कामप्रदरूपेण (वृषनाभिना) समर्थचक्रच्छिद्रेण (रथेन) यानेन (नः) अस्माकम् (हव्या, वीतये) भागसेवनाय (श्येनासः, पक्षिणः, न) श्येनाः पक्षिण इव (आगत) आगच्छत ॥१०॥