Go To Mantra

यज॑ध्वैनं प्रियमेधा॒ इन्द्रं॑ स॒त्राचा॒ मन॑सा । यो भूत्सोमै॑: स॒त्यम॑द्वा ॥

English Transliteration

yajadhvainam priyamedhā indraṁ satrācā manasā | yo bhūt somaiḥ satyamadvā ||

Pad Path

यज॑ध्व । ए॒न॒म् । प्रि॒य॒ऽमे॒धाः॒ । इन्द्र॑म् । स॒त्राचा॑ । मन॑सा । यः । भूत् । सोमैः॑ । स॒त्यऽम॑द्वा ॥ ८.२.३७

Rigveda » Mandal:8» Sukta:2» Mantra:37 | Ashtak:5» Adhyay:7» Varga:24» Mantra:2 | Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:37


Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्र को आनन्ददाता मानकर गाओ, यह शिक्षा देते हैं।

Word-Meaning: - (प्रियमेधाः१) हे शुभकर्मानुरागी जनो ! हे प्रियमेधाः ! (सत्राचा) उस परमात्मा के साथ वर्तमान (मनसा) मन से (एनम्+इन्द्रम्) इस इन्द्र को (यजध्व) पूजो। (यः) जो इन्द्र (सोमैः) निखिल पदार्थों के साथ रहता हुआ (सत्यमद्वा) यथार्थरूप से आनन्दप्रद (भूत्) हो रहा है ॥३७॥
Connotation: - मन को वशीभूत करके ईश्वरतत्त्व जिज्ञासितव्य है। वह महान् देव सर्व पदार्थों के साथ स्थित होकर सबको आनन्द दे रहा है, यह जानना चाहिये ॥३७॥
Footnote: १−प्रियमेधाः=मेध=यज्ञ=शुभकर्म। जिसको शुभकर्म प्रिय हो, वह प्रियमेध ॥३७॥
Reads times

ARYAMUNI

अब कर्मयोगी का प्रेम से अर्चन करना कथन करते हैं।

Word-Meaning: - (प्रियमेधाः) हे प्रिययज्ञवाले पुरुषो (एनं, इन्द्रं) इस पूर्वोक्त गुणवाले कर्मयोगी की (सत्राचा, मनसा) मन के साथ=मन से (यजध्वं) अर्चना करो (यः) जो (सोमैः) सौम्यगुणों से (सत्यमद्वा) सच्चे आनन्दवाला है ॥३७॥
Connotation: - इस मन्त्र का भाव यह है कि जिज्ञासुजन, जो अनेक प्रकार की विद्यावृद्धिवाले यज्ञों में लगे हुए उन्नति कर रहे हैं, वे मन से उस सच्चे आनन्दवाले कर्मयोगी की अर्चना करें, ताकि वह उनके यज्ञों में आये हुए विघ्नों को निवृत्त करके पूर्ण करानेवाला हो ॥३७॥
Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

आनन्ददातृत्वेनेन्द्रं गायेदिति शिक्षते।

Word-Meaning: - हे प्रियमेधाः=प्रियोऽभीष्टो मेधो यज्ञो येषामिति प्रियमेधाः=शुभकर्मानुरागिणो जनाः। यूयम्। सत्राचा=सहाञ्चता पूज्येनेन्द्रेण सह वर्तमानेन इन्द्रे आसक्तेन। मनसा=चित्तेन। एनमिन्द्रम्। यजध्व=यजध्वम्। अत्र “यजध्वैनमिति च ७।१।४३” एनमित्यस्मिन् परे ध्वमोऽन्तलोपो निपात्यते। य इन्द्रः। सोमैः=सकलपदार्थैः सह स्थितः सन्। सत्यमद्वा+भूत्=सत्यमदयिता भवति=सत्यमानन्दप्रदाता भवति ॥३७॥
Reads times

ARYAMUNI

अथ कर्मयोगिनः प्रेम्णार्चनं कथ्यते।

Word-Meaning: - (प्रियमेधाः) हे प्रिययज्ञाः (एनं, इन्द्रं) एनं पूर्वोक्तगुणकं कर्मयोगिनं (यजध्व) यजध्वं (सत्राचा) सहितेन (मनसा) चेतसा (यः) यः कर्मयोगी (सोमैः) सौम्यगुणैः (सत्यमद्वा) दृढानन्दवान् (भूत्) भवति ॥३७॥