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पन्य॑म्पन्य॒मित्सो॑तार॒ आ धा॑वत॒ मद्या॑य । सोमं॑ वी॒राय॒ शूरा॑य ॥

English Transliteration

panyam-panyam it sotāra ā dhāvata madyāya | somaṁ vīrāya śūrāya ||

Pad Path

पन्य॑म्ऽपन्यम् । इत् । सो॒ता॒रः॒ । आ । धा॒व॒त॒ । मद्या॑य । सोम॑म् । वी॒राय॑ । शूरा॑य ॥ ८.२.२५

Rigveda » Mandal:8» Sukta:2» Mantra:25 | Ashtak:5» Adhyay:7» Varga:21» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:25


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SHIV SHANKAR SHARMA

सर्व शुभ कर्म परेश को समर्पणीय हैं, इतर नहीं, यह इससे दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (सोतारः) यज्ञादि शुभकर्मों के करनेवाले का नाम सोता है। हे सोतृगण ! आप (मद्याय) आनन्दप्राप्त्यर्थ (पन्यं+पन्यम्) स्तुत्य, स्तवनीय, स्तुतियोग्य (इत्) स्तुत्य परमात्मा के ही निकट (आ+धावत) सर्वभाव से दौड़िये। उसी के निकट पहुँचिये, पहुँचकर उपासना कीजिये। तथा (सोमम्) परमपवित्र वस्तु (वीराय+शूराय) परम वीर और शूर परमात्मा के लिये ही समर्पित करें ॥२५॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! ईश्वर ही स्तवनीय है। अचेतन सूर्य्यादि उपासनीय नहीं तथा सर्व नवीन और प्रिय वस्तु उसको समर्पित करो ॥२५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोतारः) हे जिज्ञासावाले मनुष्यो ! (मद्याय) अन्नपानादि सत्कार द्वारा हर्षित करने योग्य (वीराय) शत्रुहन्ता (शूराय) ओजस्वी कर्मयोगी के लिये (सोमं) सोमरस (पन्यंपन्यं, इत्) स्वादु स्वादु ही (आधावत) संस्कृत करें ॥२५॥
Connotation: - हे जिज्ञासु जनो ! इस वेदविद्या के ज्ञाता ओजस्वी=बलवान् कर्मयोगी का सत्कार उत्तम प्रकार से बने हुए सोमरस द्वारा ही करना चाहिये, जिससे वह हर्षित हुए उत्तमोत्तम उपदेशों द्वारा हमारे जीवन में पवित्रता का संचार करे ॥२५॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

शुभानि सर्वाणि कर्माणि परेशाय समर्पयितव्यानि, नेतराणि इत्यनया शिक्षते।

Word-Meaning: - हे सोतारः=शुभकर्मतत्परा जनाः। यूयम्। मद्याय=आनन्दाय। पन्यं पन्यम्=स्तुत्यं स्तुत्यम्। इत्=एव। स्तवनीयमीशमेव। आ=समन्तात्। धावत=शीघ्रं गच्छत शीघ्रमुपासीध्वम्। तथा वीराय शूराय=परमात्मने। सोमम्=पूतं पवित्रं वस्तु समर्पयतेति शेषः ॥२५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सोतारः) हे जिज्ञासावन्तः ! (मद्याय) अन्नपानादिसत्कारैः मादयितुं योग्याय (वीराय) शत्रुहन्त्रे (शूराय) ओजस्विने (सोमं) सौम्यरसं (पन्यंपन्यं, इत्) स्वादुंस्वादुमेव (आधावत) संस्कुरुत ॥२५॥