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अदा॑न्मे पौरुकु॒त्स्यः प॑ञ्चा॒शतं॑ त्र॒सद॑स्युर्व॒धूना॑म् । मंहि॑ष्ठो अ॒र्यः सत्प॑तिः ॥

English Transliteration

adān me paurukutsyaḥ pañcāśataṁ trasadasyur vadhūnām | maṁhiṣṭho aryaḥ satpatiḥ ||

Pad Path

अदा॑त् । मे॒ । पौ॒रु॒ऽकु॒त्स्यः । प॒ञ्चा॒शत॑म् । त्र॒सद॑स्युः । व॒धूना॑म् । मंहि॑ष्ठः । अ॒र्यः । सत्ऽप॑तिः ॥ ८.१९.३६

Rigveda » Mandal:8» Sukta:19» Mantra:36 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:35» Mantra:6 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:36


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SHIV SHANKAR SHARMA

इन दो मन्त्रों से उपासना का फल दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (मंहिष्ठः) परमदाता (अर्य्यः) परमपूज्य (सत्पतिः) सज्जनपालक (त्रसदस्युः) दुष्टनिवारक (पौरुकुत्स्यः) सकल जीवपालक वह परमदेव (मे) मुझ उपासक को (वधूनाम्+पञ्चाशतम्) बहुत से घोड़े, घोड़ियाँ और अन्यान्य पशु (अदात्) देता है ॥३६॥
Connotation: - जो उसकी उपासना अन्तःकरण से करता है, वह सर्व धनसम्पन्न होता है, अतः हे मनुष्यों ! केवल उसी की उपासना सदा करो ॥३६॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (पौरुकुत्स्यः) पुरुकुत्स=विविधशस्त्रोंवाले योद्धाओं में तेजरूप से विद्यमान “कुत्स इति वज्रनामसु पठितम्” निरु० २।२०। (मंहिष्ठः) सबसे महान् (सत्पतिः) सज्जनों का पालक (त्रसदस्युः) दस्युओं को त्रास देनेवाला (अर्यः) प्राप्तव्य परमात्मा ने (मे) मेरे उपभोगाय (वधूनाम्) सहनशील नदी आदि पदार्थों के, “वधू” यह शब्द नदीनामों में पढ़ा है, निरु० १।१३। (पञ्चाशतम्) पचासों संख्यावाले समुदाय को (अदात्) उत्पन्न किया ॥३६॥
Connotation: - वह परमात्मा शूरवीरों में तेजोरूप से विद्यमान होकर शत्रुओं के नाश द्वारा सज्जनों का पालन करता है, उसी ने अपनी विचित्र शक्ति से नदियों द्वारा सर्वत्र जल पहुँचाया और उसी ने घृतादि वहनशील पदार्थों को उत्पन्न करके प्रजावर्ग को पुष्ट तथा सुखी किया, इत्यादि अनेकानेक पदार्थ जिनका उपभोग करके मनुष्य सुखी होते हैं, सब परमात्मा की रचना है, अतएव मनुष्यमात्र का कर्तव्य है कि उसकी महिमा का अनुभव करते हुए उसके आज्ञापालक हों, ताकि वह प्रसन्न होकर हमें प्रभूत सुखकारक पदार्थ प्राप्त कराए ॥३६॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

उपासनाफलं दर्शयति।

Word-Meaning: - अदादिति−मंहिष्ठः=दातृतमः परमदाता। अर्य्यः=पूज्यः। सत्पतिः=सतां पालकः। त्रसदस्युः=दस्यूनां दुष्टानां त्रासकः। पौरुकुत्स्यः=पुरूणां जीवानां रक्षकः परमात्मा। मे=मह्यमुपासकाय। वधूनाम्=वडवानाम्। पञ्चाशतम्= पञ्चाशत्संख्याम्। बाहुल्यमित्यर्थः। अदात्=ददाति ॥३६॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (पौरुकुत्स्यः) पुरुकुत्सेषु=बहुशस्त्रयोद्धृषु तेजोरूपेण विद्यमानः (मंहिष्ठः) सर्वमहान् (सत्पतिः) सतां पालकः (त्रसदस्युः) दस्युत्रासकः (अर्यः) प्राप्तव्यः परमात्मा (मे) मह्यम् (वधूनां) वहनशीलानां नदीनाम्, “वधूरिति नदीनामसु पठितम्” निरु० १।१३। (पञ्चाशतम्) पञ्चाशतम् उपलक्षणमेतदनेकानाम् (अदात्) उपभोगार्थं समुदपद्यत ॥३६॥