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यो ह॒व्यान्यैर॑यता॒ मनु॑र्हितो दे॒व आ॒सा सु॑ग॒न्धिना॑ । विवा॑सते॒ वार्या॑णि स्वध्व॒रो होता॑ दे॒वो अम॑र्त्यः ॥

English Transliteration

yo havyāny airayatā manurhito deva āsā sugandhinā | vivāsate vāryāṇi svadhvaro hotā devo amartyaḥ ||

Pad Path

यः । ह॒व्यानि॑ । ऐर॑यत । मनुः॑ऽहितः । दे॒वः । आ॒सा । सु॒ऽग॒न्धिना॑ । विवा॑सते । वार्या॑णि । सु॒ऽअ॒ध्व॒रः । होता॑ । दे॒वः । अम॑र्त्यः ॥ ८.१९.२४

Rigveda » Mandal:8» Sukta:19» Mantra:24 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:33» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:24


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SHIV SHANKAR SHARMA

गुणों की स्तुति दिखाते हैं।

Word-Meaning: - (स्वध्वरः) जो मार्गों को अच्छे प्रकार दिखलानेवाला है, क्योंकि महान्धकार में भी अग्नि की सहायता से मनुष्य सब काम करता है। (होता) वायु, मेघ, पानी आदि देवों को बुलानेवाला है, (देवः) प्रकाशमान और (अमर्त्यः) अमरणधर्मी=सदास्थायी अग्नि है, वह (मनुर्हितः) मनुष्यों से स्थापित और आहुत होने से (हव्यानि) आहुत द्रव्यों को (ऐरयत) यथास्थान में पहुँचाया करता है और (वार्य्याणि) वरणीय जल अन्न आदि पदार्थों को (विवासते) देता है ॥२४॥
Connotation: - होम से जलवर्षण होता है, ऐसा बहुत आचार्य्यों की सम्मति है, अतः हवनसामग्री तदनुकूल होनी चाहिये। तब ही वह लाभ हो सकता है ॥२४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (मनुर्हितः) ज्ञानी उपासकों से सेवित (देवः, यः) दिव्यस्वरूप परमात्मा (सुगन्धिना, आसा) हवनों द्वारा शोभनगन्धयुक्त मुखवाला होकर (हव्यानि) हव्य पदार्थों को (ऐरयत) उत्पन्न करता है (स्वध्वरः) सुन्दर यज्ञवाला (होता) ब्रह्माण्डरूप यज्ञ का कर्त्ता (अमर्त्यः, देवः) अमरणशील दिव्य परमात्मा (वार्याणि) उपासकों को अभिलषित पदार्थ (विवासते) उत्पन्न करता है ॥२४॥
Connotation: - “मुखादग्निरजायत” यजु० ३१।११। इत्यादि मन्त्रों में अग्नि परमात्मा का मुखस्थानीय वर्णन किया है, इसी अभिप्राय से इस मन्त्र में परमात्मा को हवनों द्वारा सुन्दर गन्धयुक्त मुखवाला कहा है। वह परमात्मा यज्ञ द्वारा सेवित होकर शोभन रसों को ही नहीं किन्तु अन्य अभिलषित पदार्थों को भी देता है, जिससे प्राणी पुष्ट होकर स्व-स्व व्यवहार में प्रवृत्त होते हैं, अतएव मनुष्यमात्र का कर्तव्य है कि वह अमरणशील दिव्य परमात्मा की उपासना में तत्पर रहें, जो सबको उत्तमोत्तम पदार्थों का देनेवाला तथा सबका जीवनाधार है ॥२४॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

गुणस्तुतिं दर्शयति।

Word-Meaning: - योऽग्निः। मनुर्हितः=मनुष्यैर्हितः स्थापित आहुतश्च सन्। सुगन्धिना=शोभनगन्धयुक्तेन। आसा=ज्वालारूपेण आस्येन मुखेन। हव्यानि=आहुतद्रव्याणि। ऐरयत=सर्वत्र ईरयति प्रेरयति प्रापयतीत्यर्थः। पुनः। वार्य्याणि=वरणीयानि जनैः। जलान्नादीनि वस्तूनि। विवासते=परिचरते। ददातीत्यर्थः। कीदृशः सः। स्वध्वरः=शोभनाध्वदाता। होता=आह्वाता। देवः=दीप्यमानः= प्रकाशमानः। अमर्त्यः=मर्त्यभिन्नः सदास्थायी ॥२४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (मनुर्हितः) ज्ञानिभिर्धृतः (देवः, यः) दिव्यो यः (सुगन्धिना, आसा) हवनैः शोभनगन्धेन मुखेन सता (हव्यानि) हव्यपदार्थान् (ऐरयत) उत्पादयति (स्वध्वरः) शोभनयज्ञः (होता) ब्राह्माण्डयज्ञकर्ता (अमर्त्यः, देवः) अमरणशीलो देवः सः (वार्याणि) वरणीयानि (विवासते) ददाति ॥२४॥