Go To Mantra

अदि॑तिर्नो॒ दिवा॑ प॒शुमदि॑ति॒र्नक्त॒मद्व॑याः । अदि॑तिः पा॒त्वंह॑सः स॒दावृ॑धा ॥

English Transliteration

aditir no divā paśum aditir naktam advayāḥ | aditiḥ pātv aṁhasaḥ sadāvṛdhā ||

Pad Path

अदि॑तिः । नः॒ । दिवा॑ । प॒शुम् । अदि॑तिः । नक्त॑म् । अद्व॑याः । अदि॑तिः । पा॒तु॒ । अंह॑सः । स॒दाऽवृ॑धा ॥ ८.१८.६

Rigveda » Mandal:8» Sukta:18» Mantra:6 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:26» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:6


Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

बुद्धि की प्रशंसा दिखाते हैं।

Word-Meaning: - (अद्वयाः) साहाय्यरहिता वह (अदितिः) विमलबुद्धि (नः) हमारे (पशुम्) गवादि पशुओं और आत्मा की (दिवा) दिन में (पातु) रक्षा करें (नक्तम्) रात्रि में भी (अदितिः) वह अदिति पाले (सदावृधा) सदा बढ़ानेवाली (अदितिः) विमलबुद्धि (अंहसः) पाप से भी हमको (पातु) बचावे ॥६॥
Connotation: - सद्बुद्धि मनुष्य की सर्वदा रक्षा करती है, अतः हे मनुष्यों ! उसका उपार्जन सर्वोपाय से करो ॥६॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अद्वयाः) कामक्रोधरूप द्वैतरहित (अदितिः) अदीना विद्या (नः, पशुम्) हमारे बन्धन करनेवाले कर्मों की (दिवा) दिन में तथा (अदितिः) वह अदिति ही (नक्तम्) रात्रि में रक्षा करे (सदावृधा) प्रतिदिन बढ़ती हुई रक्षा से (अदितिः) वह विद्या (अंहसः, पातु) पाप से निवृत्त करे ॥६॥
Connotation: - वह विद्या पापों से निवृत्त करनेवाली तथा रात-दिन हमारी रक्षा करनेवाली है, या यों कहो कि विद्या पुरुष को सब द्वन्द्वों से रहित करके अभयपद=निर्वाण पद को प्राप्त कराती है अर्थात् राग द्वेष, काम, क्रोध, लोभ, मोह तथा मानापमानादि द्वन्द्वों की निवृत्ति द्वारा पुरुष को उच्च भावोंवाला बनाती है। अधिक क्या भवसागर की लहरों से वही पुरुष पार हो सकता है, जो एकमात्र विद्या का आश्रय लेकर तितीर्षु बनता है ॥६॥
Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

बुद्धिः प्रशस्यते।

Word-Meaning: - अद्वयाः=अद्वितीयाः=साहाय्यरहिताः। अदितिः=खण्डनीया मतिः। नोऽस्माकम्। पशुम्=गवादिकमात्मानं च। दिवा=दिने। पातु=रक्षतु। नक्तम्=रात्रावपि। सादितिर्नः पातु। सदावृधा=सदावर्धनशीला। अदितिः। अंहसः=पापादपि अस्मान् पातु ॥६॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अद्वयाः) कामक्रोधरहिताः (अदितिः) विद्या (नः, पशुम्) अस्माकं बन्धनकर्म (दिवा) दिने (अदितिः) सैव (नक्तम्) रात्रौ रक्षतु (सदावृधा) सदा वर्धमानरक्षया (अदितिः) विद्या (अहंसः, पातु) पापात् रक्षतु ॥६॥