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इन्द्रो॑ ब्र॒ह्मेन्द्र॒ ऋषि॒रिन्द्र॑: पु॒रू पु॑रुहू॒तः । म॒हान्म॒हीभि॒: शची॑भिः ॥

English Transliteration

indro brahmendra ṛṣir indraḥ purū puruhūtaḥ | mahān mahībhiḥ śacībhiḥ ||

Pad Path

इन्द्रः॑ । ब्र॒ह्मा । इन्द्रः॑ । ऋषिः॑ । इन्द्रः॑ । पु॒रु । पु॒रु॒ऽहू॒तः । म॒हान् । म॒हीभिः॑ । शची॑भिः ॥ ८.१६.७

Rigveda » Mandal:8» Sukta:16» Mantra:7 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:21» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:7


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SHIV SHANKAR SHARMA

ईश्वर का महत्त्व दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - यह (इन्द्रः) परमात्मा (ब्रह्मा) सर्व पदार्थों से बड़ा है (इन्द्रः) परमात्मा ही (ऋषिः) सर्वद्रष्टा महाकवि है (इन्द्रः) वही इन्द्र (पुरु) बहुत प्रकार से (पुरुहूतः) बहुतों से आहूत होता है। वही (महीभिः) महान् (शचीभिः) सृष्टि आदि कर्म द्वारा (महान्) परम महान् है ॥७॥
Connotation: - वह सबसे महान् है, क्योंकि इस अनन्त सृष्टि का जो कर्त्ता है, वह अवश्य इन सबसे सब प्रकार से महान् होना चाहिये। सृष्टिरचना इसकी महती क्रिया है, हे मनुष्यों ! इसकी इस लीला को देखो ॥७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्रः, ब्रह्मा) वह परमात्मा ही ब्रह्मा=वेदों का प्रकाशक (इन्द्रः, ऋषिः) वही सूक्ष्मपदार्थद्रष्टा (इन्द्रः, पुरु, पुरुहूतः) वह परमात्मा अनेक वार अनेकों से आहूत और (महीभिः) अपनी बड़ी (शचीभिः) शक्ति के होने से (महान्) महान् कहा जाता है ॥७॥
Connotation: - वही सर्वशक्तिमान् परमात्मा अग्नि, वायु, आदित्य तथा अङ्गिरा द्वारा ऋगादि चारों वेदों का प्रकाशक, वही ऋषि=सूक्ष्मद्रष्टा=वेदों के सूक्ष्म=गूढ़ तत्त्वों का प्रकाशक, वही सबका पूजनीय इष्टदेव और वही सर्वोपरि होने से महान् है, उसी की उपासना करना मनुष्यमात्र का कर्तव्य है ॥७॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

ईशमहत्त्वं दर्शयति।

Word-Meaning: - अयमिन्द्रो ब्रह्मा=सर्वेभ्योऽधिको बृहदस्ति। एष इन्द्रः। ऋषिः=सर्वद्रष्टाऽस्ति। स इन्द्रः। पुरु=बहुलम्। पुरुहूतः=पुरुभिर्बहुभिराहूतः। स एव। महीभिः=महतीभिः शचीभिः सृष्ट्यादिक्रियाभिः। महान् =श्रेष्ठोऽस्ति ॥७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्रः, ब्रह्मा) इन्द्र एव ब्रह्मा वेदानां प्रकाशयिताऽस्ति (इन्द्रः, ऋषिः) स एव सूक्ष्मद्रष्टा (इन्द्रः, पुरु, पुरुहूतः) स एव बहुधा बहुभिराहूतः (महीभिः, शचीभिः) महतीभिः शक्तिभिः (महान्) सर्वेभ्योऽधिकः ॥७॥