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त्वां विष्णु॑र्बृ॒हन्क्षयो॑ मि॒त्रो गृ॑णाति॒ वरु॑णः । त्वां शर्धो॑ मद॒त्यनु॒ मारु॑तम् ॥

English Transliteration

tvāṁ viṣṇur bṛhan kṣayo mitro gṛṇāti varuṇaḥ | tvāṁ śardho madaty anu mārutam ||

Pad Path

त्वाम् । विष्णुः॑ । बृ॒हन् । क्षयः॑ । मि॒त्रः । गृ॒णा॒ति॒ । वरु॑णः । त्वाम् । शर्धः॑ । म॒द॒ति॒ । अनु॑ । मारु॑तम् ॥ ८.१५.९

Rigveda » Mandal:8» Sukta:15» Mantra:9 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:18» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:9


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SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्र की महिमा दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - हे इन्द्र ! (बृहन्) पृथिव्यादि लोकों की अपेक्षा बहुत बड़ा और (क्षयः) सर्व प्राणियों का निवासहेतु (विष्णुः) यह सूर्य्यदेव (त्वाम्+गृणाति) तेरी स्तुति करता है। अर्थात् तेरे महान् महिमा को दिखलाता है। तथा (मित्रः) ब्राह्मण अथवा दिवस (वरुणः) क्षत्रिय अथवा रात्रि तेरी स्तुति करते हैं। (मारुतम्) वायुसम्बन्धी (शर्धः) बल (त्वाम्+अनु) तेरी ही शक्ति से (मदति) मदयुक्त होता है। तेरे ही बल से वह भी बलवान् होता है ॥९॥
Connotation: - भाव यह है कि हे इन्द्र ! यह महान् सूर्य, ब्राह्मण, क्षत्रिय और अहोरात्र आपकी ही कीर्त्ति दिखला रहे हैं। तथा इस वायु का वेग या बल भी आपसे ही प्राप्त होता है। आप ऐसे महान् देव हैं। आपकी ही स्तुति मैं किया करूँ ॥९॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (विष्णुः) विष्णु शब्द (बृहन्, क्षयः) महान् सर्वाश्रय शब्द (मित्रः) मित्र शब्द (वरुणः) वरुण शब्द (त्वाम्, गृणाति) आप ही को वाच्यरूप से कहते हैं (मारुतम्, शर्धः) ऋत्विक्सम्बन्धी विद्याबल (त्वाम्) आप ही के (अनुमदति) आश्रित होकर सबको हर्षित करता है ॥९॥
Connotation: - हे सबके आश्रय महान् परमेश्वर ! विष्णु=व्यापक, मित्र=सबका हितचिन्तक तथा वरुण=सबका उपासनीय, यह सब शब्द आप ही में प्रयुक्त होते हैं और ऋत्विक्=वेदविद्या के प्रकाशक विद्वान् आपके आश्रित=आप ही की कृपा से विद्यासम्पन्न होकर मनुष्यों को सदुपदेश द्वारा हर्षित करते हैं ॥९॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्रस्य महिमा प्रदर्श्यते।

Word-Meaning: - हे इन्द्र ! बृहन्=पृथिव्यादिभ्यो महत्तमः। पुनः। क्षयः=“क्षि निवासे” क्षयति निवासयति जीवान् यः स क्षयः। ईदृग्। विष्णुः=सूर्य्यः। त्वाम्। गृणाति=स्तौति। तव महान्तं महिमानं दर्शयतीत्यर्थः। मित्रः=ब्राह्मणः। दिवसो वा। वरुणः=क्षत्रियः। रात्रिर्वा। त्वां गृणाति। पुनः। मारुतम्=वायुसम्बन्धि। शर्धः=बलम्। त्वामनुमदति=त्वामनुलक्ष्य माद्यति। तवैव बलेन सोऽपि मरुत् बलवानस्तीति यावत् ॥९॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (विष्णुः) विष्णुशब्दः (बृहन्, क्षयः) महान् निवास इति शब्दः (मित्रः) मित्रशब्दः (वरुणः) वरुणशब्दः (त्वाम्, गृणाति) त्वामेव वक्ति (मारुतम्, शर्धः) मारुतम्=आर्त्विजीनं बलम् (त्वाम्, अनुमदति) त्वामेवानुसृत्य हर्षयति ॥९॥