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तं ते॒ मदं॑ गृणीमसि॒ वृष॑णं पृ॒त्सु सा॑स॒हिम् । उ॒ लो॒क॒कृ॒त्नुम॑द्रिवो हरि॒श्रिय॑म् ॥

English Transliteration

taṁ te madaṁ gṛṇīmasi vṛṣaṇam pṛtsu sāsahim | u lokakṛtnum adrivo hariśriyam ||

Pad Path

तम् । ते॒ । मद॑म् । गृ॒णी॒म॒सि॒ । वृष॑णम् । पृ॒त्ऽसु । स॒स॒हिम् । ऊँ॒ इति॑ । लो॒क॒ऽकृ॒त्नुम् । अ॒द्रि॒ऽवः॒ । ह॒रि॒ऽश्रिय॑म् ॥ ८.१५.४

Rigveda » Mandal:8» Sukta:15» Mantra:4 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:17» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:4


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SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्र की प्रार्थना दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (अद्रिवः) हे जगत् शासनार्थ दण्डधारी महेश (ते) तेरे (तम्) उस (मदम्) आनन्द की (गृणीमसि) हम मनुष्य स्तुति करते हैं, जो आनन्द (वृषणम्) समस्त सुखों की वर्षा करनेवाला है। पुनः (पृत्सु) आध्यात्मिक संग्राम में (सासहिम्) सहनशील हो। ईश्वरीयानन्द में निमग्न पुरुष आपत्काल में भी मोहित नहीं होते हैं। पुनः (उ) निश्चयरूप से (लोककृत्नुम्) पृथिव्यादि समस्त लोकों का कर्त्ता है। क्योंकि ईश्वर आनन्द में आकर ही सृष्टि करता है। लोक में भी देखा जाता है कि आनन्द से आप्लावित होकर ही स्त्री-पुरुष सन्तान उत्पन्न करते हैं। पुनः जो (हरिश्रियम्) स्थावर जङ्गम संसारों को भूषित करने वाला है, ऐसे आनन्द की स्तुति हम सब करते हैं। हे ईश ! हम सदा आपके आश्रय से आनन्दमय होवें, यह प्रार्थना आपके निकट है ॥४॥
Connotation: - परमात्मा सदा पदार्थों के ऊपर आनन्दवृष्टि कर रहा है। तथापि सब आनन्दित नहीं हैं, यह आश्चर्य है। हे मनुष्यों ! इस जगत् से उस आनन्द को निकाल धारण करने के लिये प्रयत्न करो ॥४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अद्रिवः) हे वज्रशक्तिवाले ! (वृषणम्) कामनाओं की वर्षा करनेवाले (पृत्सु, सासहिम्) युद्धों में शत्रु का अभिभव करनेवाले (उ) और (लोककृत्नुम्) लोकनिर्माण करनेवाले (हरिश्रियम्) लोक, पाप वा शत्रु की हरणशील शक्ति से शोभित (तत्, ते, मदम्) उस आपके आह्लादक बल का (गृणीमसि) भजन करते हैं ॥४॥
Connotation: - हे अतुलबल तथा वज्रशक्तिवाले परमेश्वर ! आप ही सब कामनाओं को पूर्ण करनेवाले और आप ही उस आह्लादक बल को देनेवाले हैं, जिसको प्राप्त कर मनुष्य उन्नत होता है। हे प्रभो ! हम उस आह्लादक आत्मिक बल के लिये आपसे प्रार्थना करते हैं कि हमें बलवान् करो, ताकि हम उन्नत होकर मनुष्यजन्म के फलचतुष्टय को प्राप्त हों ॥४॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्रस्य प्रार्थनां दर्शयति।

Word-Meaning: - हे अद्रिवः ! हे जगच्छासनाय दण्डधारिन् महेश ! ते=तव। तम्=सुप्रसिद्धम्। मदम्=संसारव्यापिनमानन्दम्। वयं गृणीमसि=गृणीमः=स्तुमः। गॄ शब्दे प्वादीनां ह्रस्वः। इदन्तो मसीति मस इकारागमः। कीदृशम्। वृषणम्=निखिलकामानां वर्षितारम्=प्रदातारम्। पुनः। पृत्सु=आध्यात्मिकमहासंग्रामेषु। सासहिम्=सहनशीलम्। ईश्वरीयानन्दे निमग्नो जन आपद्यपि न विमुह्यति। पुनः। उ=निश्चयेन। लोककृत्नुम्=सर्वेषां भूमिप्रभृतिलोकानां कर्त्तारम्। आनन्दितः सन्नेवेश्वरः सृष्टिं करोति। लोकेऽपि आनन्दाऽऽप्लावितौ दम्पती अपत्यं सृजतः। पुनः। हरिश्रियम्=हर्य्योः स्थावरजङ्गमयोः संसारयोर्भूषयितारम्। ईदृशमानन्दं वयं स्तुमः ॥४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अद्रिवः) हे वज्रशक्तिक ! (वृषणम्) वर्षुकम् (पृत्सु) पृतनासु (सासहिम्) सोढारम् (उ) अथ (लोककृत्नुम्) लोकनिर्मातारम् (हरिश्रियम्) लोकस्य पापस्य शत्रोर्वा हरणशीलशक्त्या शोभमानम् (तत्) तादृशम् (ते) तव (मदम्) मदकरं बलम् (गृणीमसि) भजामः ॥४॥