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यदि॑न्द्र मन्म॒शस्त्वा॒ नाना॒ हव॑न्त ऊ॒तये॑ । अ॒स्माके॑भि॒र्नृभि॒रत्रा॒ स्व॑र्जय ॥

English Transliteration

yad indra manmaśas tvā nānā havanta ūtaye | asmākebhir nṛbhir atrā svar jaya ||

Pad Path

यत् । इ॒न्द्र॒ । म॒न्म॒ऽशः । त्वा॒ । नाना॑ । हव॑न्ते । ऊ॒तये॑ । अ॒स्माके॑भिः । नृऽभिः॑ । अत्र॑ । स्वः॑ । ज॒य॒ ॥ ८.१५.१२

Rigveda » Mandal:8» Sukta:15» Mantra:12 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:19» Mantra:2 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:12


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SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्र की महिमा की स्तुति दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे इन्द्र परमात्मन् ! (यद्) यद्यपि (त्वा) तुझको (मन्मशः) मननीय स्तोत्रों से (नाना) नाना स्थानों में (ऊतये) अपनी रक्षा के लिये (हवन्ते) पूजते हैं, तथापि (अस्माकेभिः+नृभिः) हमारे मनुष्यों के साथ (अत्र) हमारे गृह पर (स्वः) सुखपूर्वक (जय) जय कीजिये ॥१२॥
Connotation: - उसी की कृपा से विजय भी होता है, अतः उसके लिये भी वही उपासनीय है ॥१२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे परमात्मन् ! (यत्) जो उपासक लोग (त्वा) आपको (मन्मशः) अपने-२ ज्ञान के अनुसार (नाना) अनेक प्रकार से (ऊतये) रक्षा के लिये (हवन्ते) आह्वान करते हैं, अतः (अत्र) इस यज्ञ में (अस्माकेभिः, नृभिः) हमारे नेताओं द्वारा स्तुत उनके सम्पादित (स्वः) बल को (जय) सम्बद्ध करें ॥१२॥
Connotation: - हे सबके रक्षक परमात्मन् ! जो उपासक जन आपको अपने ज्ञानानुसार अनेक प्रकार से अपनी रक्षा के लिये प्रेरित करते हैं, आप निश्चय ही उनके रक्षक होते हैं। हे प्रभो ! इस रक्षारूप यज्ञ में हमारे सब नेता आपकी स्तुति करते हैं। कृपा करके हमको बलप्रदान करें कि हमारी सब ओर से रक्षा हो ॥१२॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्रमहिम्नः स्तुतिं दर्शयति।

Word-Meaning: - हे इन्द्र ! यद्=यद्यपि। त्वा=त्वामेव। जनाः। मन्मशः=मननीयैः स्तोत्रैः साधनैः। नाना=बहुप्रकारम्। ऊतये=रक्षायै। हवन्ते=आह्वयन्ति=आगमनाय निमन्त्रयन्ति। तथापि। अस्माभिर्नृभिः सह। अत्रास्मिन्=अस्माकं भवने। स्वर्जय=सुखं जय=सुखं साधय ॥१२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे परमात्मन् ! (यत्) यज्जनाः (त्वा) त्वाम् (मन्मशः) स्वस्वज्ञानानुसारेण (नाना) नानाप्रकारैः (ऊतये, हवन्ते) रक्षायै आह्वयन्ते (अत्र) अस्मिन् यज्ञे (अस्माकेभिः, नृभिः) अस्माकं नेतृभिः सम्पादितम् (स्वः) बलम् (जय) वर्धय ॥१२॥