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त्वं वृषा॒ जना॑नां॒ मंहि॑ष्ठ इन्द्र जज्ञिषे । स॒त्रा विश्वा॑ स्वप॒त्यानि॑ दधिषे ॥

English Transliteration

tvaṁ vṛṣā janānām maṁhiṣṭha indra jajñiṣe | satrā viśvā svapatyāni dadhiṣe ||

Pad Path

त्वम् । वृषा॑ । जना॑नाम् । मंहि॑ष्ठः । इ॒न्द्र॒ । ज॒ज्ञि॒षे॒ । स॒त्रा । विश्वा॑ । सु॒ऽअ॒प॒त्यानि॑ । द॒धि॒षे॒ ॥ ८.१५.१०

Rigveda » Mandal:8» Sukta:15» Mantra:10 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:18» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:10


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SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्र की स्तुति दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे इन्द्र ! (जनानाम्) हम मनुष्यों के मध्य (त्वम्) तू ही (वृषा) निखिल कामों का दाता है और तू ही (मंहिष्ठः+जज्ञिषे) परमोदार दाता है। तथा (सत्रा) साथ ही (विश्वा) समस्त (स्वपत्यानि) अपत्य धनधान्य ऐश्वर्य को (दधिषे) धारण करनेवाला है ॥१०॥
Connotation: - उस इन्द्र को परमोदार समझकर उपासना करे ॥१०॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे परमात्मन् ! (त्वम्) आप (वृषा) सब कामनाओं की वर्षा करनेवाले हैं (जनानाम्, मंहिष्ठः) उपासकों के लिये अत्यन्त दानी हैं, अतएव (जज्ञिषे) प्रादुर्भूत किये जाते हैं (विश्वा, स्वपत्यानि) सब शोभन अपत्यभूत प्राणियों को (सत्रा, दधिषे) साथ ही धारण करते हैं ॥१०॥
Connotation: - हे सब कामनाओं को पूर्ण करनेवाले प्रभो ! आप अपने उपासकों को सब प्रकार के पदार्थों का दान देकर उन्हें सन्तुष्ट करते हैं और आप ही सब प्राणियों को धारण कर उनका पालन, पोषण तथा रक्षण करते हैं, जिससे आपकी महिमा सब पर प्रकट हो रही है ॥१०॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्रस्य स्तुतिं दर्शयति।

Word-Meaning: - हे इन्द्र ! जनानाम्=अस्माकं मध्ये। त्वमेव। वृषा=निखिलकामानां वर्षिता। दातेत्यर्थः। पुनः। त्वं मंहिष्ठः=पूज्यतम एव दातृतमो वा। जज्ञिषे=विद्यसे। मनुष्यमध्ये त्वमेक एव पूज्योऽसि। तथा। सत्रा=सह। विश्वा=सर्वाणि। स्वपत्यानि=शोभनानि अपत्यादीन्यैश्वर्याणि। दधिषे=धारयसि ॥१०॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे परमात्मन् ! (त्वम्, वृषा) त्वं सर्वकामानां वर्षिता (जनानाम्, मंहिष्ठः) उपासकेभ्यो दातृतमः अतः (जज्ञिषे) प्रादुर्भाव्यसे (विश्वा, स्वपत्यानि) सर्वाण्यपत्यभूतानि भूतानि (सत्रा, दधिषे) सहैव दधासि ॥१०॥