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नू॒नं तदि॑न्द्र दद्धि नो॒ यत्त्वा॑ सु॒न्वन्त॒ ईम॑हे । र॒यिं न॑श्चि॒त्रमा भ॑रा स्व॒र्विद॑म् ॥

English Transliteration

nūnaṁ tad indra daddhi no yat tvā sunvanta īmahe | rayiṁ naś citram ā bharā svarvidam ||

Pad Path

नू॒नम् । तत् । इ॒न्द्र॒ । द॒द्धि॒ । नः॒ । यत् । त्वा॒ । सु॒न्वन्तः॑ । ईम॑हे । र॒यिम् । नः॒ । चि॒त्रम् । आ । भ॒र॒ । स्वः॒ऽविद॑म् ॥ ८.१३.५

Rigveda » Mandal:8» Sukta:13» Mantra:5 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:7» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:5


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SHIV SHANKAR SHARMA

ईश्वर की प्रार्थना करते हैं।

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे इन्द्र ! (नूनम्) तू अवश्य (तत्) प्रसिद्ध विज्ञानरूप धन (नः) हम लोगों को (दद्धि) दे (यत्) जिस धन को (त्वा+सुन्वन्तः) तेरी उपासना करते हुए हम उपासकगण (ईमहे) चाहते हैं। हे इन्द्र ! (चित्रम्) नाना प्रकार के तथा (स्वर्विदम्) सुखजनक बुद्धिरूप (रयिम्) महाधन (नः) हम लोगों के लिये (आभर) ले आ ॥५॥
Connotation: - जो परमात्मा की उपासना मन से करता और उसकी आज्ञा पर सदा चलता, वही सब धन का योग्य है ॥५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे परमात्मन् ! (सुन्वन्तः) यज्ञ करते हुए हम (यत्, त्वा, ईमहे) जो आपसे याचना करते हैं, (तत्) वह (नः, नूनम्, दद्धि) हमें निश्चय दें और (नः) हमारे लिये (चित्रम्) विविध (स्वर्विदम्) सबको प्राप्त करानेवाले (रयिम्) धन को (आभर) आहरण करें ॥५॥
Connotation: - हे सब धनों की राशि परमात्मन् ! हम लोग यज्ञ करते हुए जो आपसे याचना करते हैं, उन हमारी इष्ट कामनाओं को कृपा करके पूर्ण करें और हमको विविध प्रकार के धन देकर ऐश्वर्य्यसम्पन्न करें, ताकि हम यज्ञों के करने में सदा समर्थ हों ॥५॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

ईश्वरप्रार्थनां करोति।

Word-Meaning: - हे इन्द्र ! नूनम्=अवश्यम्। तत्प्रसिद्धम्=विज्ञानलक्षणं धनम्। नोऽस्मभ्यम्। दद्धि=ददस्व=देहि। दद दाने। “व्यत्ययेन परस्मैपदं छान्दसः शपो लुक”। यद्धनम्। त्वा=त्वाम्। सुन्वन्तः=पूजयन्तः। वयमीमहे=कामयामहे। हे इन्द्र ! चित्रम्=नानाविधम्। स्वर्विदम्=सुखस्य लम्भकम्। रयिम्=मेधारूपधनम्। आहर=आभर। नोऽस्मदर्थम् ॥५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्र) हे परमात्मन् ! (सुन्वन्तः) यज्ञं कुर्वन्तः (यत्, त्वा, ईमहे) यत् त्वां याचामः (तत्, नः) तदस्मभ्यम् (नूनम्, दद्धि) निश्चयं देहि (नः) अस्माकम् (चित्रम्) विविधम् (स्वर्विदम्) सर्वस्य लम्भयितृ (रयिम्) धनम् (आभर) आहर ॥५॥