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तदिद्रु॒द्रस्य॑ चेतति य॒ह्वं प्र॒त्नेषु॒ धाम॑सु । मनो॒ यत्रा॒ वि तद्द॒धुर्विचे॑तसः ॥

English Transliteration

tad id rudrasya cetati yahvam pratneṣu dhāmasu | mano yatrā vi tad dadhur vicetasaḥ ||

Pad Path

तत् । इत् । रु॒द्रस्य॑ । चे॒त॒ति॒ । य॒ह्वम् । प्र॒त्नेषु॑ । धाम॑ऽसु । मनः॑ । यत्र॑ । वि । तत् । द॒धुः । विऽचे॑तसः ॥ ८.१३.२०

Rigveda » Mandal:8» Sukta:13» Mantra:20 | Ashtak:6» Adhyay:1» Varga:10» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:3» Mantra:20


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SHIV SHANKAR SHARMA

उसकी महिमा गाते हैं।

Word-Meaning: - (तद्+इत्) वही (यह्वम्) इन्द्ररूप महान् तेज (रुद्रस्य) विद्युदादि पदार्थों को (प्रत्नेषु) प्राचीन अविनश्वर सदा स्थिर (धामसु) आकाशस्थानों में (चेतति) चेतन बनाता है। अर्थात् चेतनवत् उनको कार्य्यों में व्यापारित करता है। (यत्र) जिस इन्द्रवाच्य ईश में (विचेतसः) विशेष विज्ञानी जन (तत्) उस शान्त (मनः) मनको समाधि सिद्धि के लिये (विदधुः) स्थापित करते हैं, उसी इन्द्र की पूजा सब करें ॥२०॥
Connotation: - जो लोकाधिपति परमात्मा विद्युदादि अनन्त पदार्थों को आकाश में स्थापित करके उनका शासन करता और चेताता है, उसी में योगिगण मन लगाते हैं। हे मनुष्यों ! उसी एक को जानो ॥२०॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (रुद्रस्य) शत्रुओं को रुलानेवाले परमात्मा का (प्रत्नेषु, धामसु) प्राचीन अन्तरिक्षादि स्थानों में (तत्, यह्वम्) वह महिमा (चेतति) जागरूक है (यत्र) जिसमें (विचेतसः) विविध विज्ञानी जन (तद्, मनः) उस प्रसिद्ध अपने मानस ज्ञान को (विदधुः) लगाते हैं ॥२०॥
Connotation: - हे रुद्ररूप परमात्मन् ! अन्तरिक्षादि लोक-लोकान्तरों में आपकी महिमा चहुँ ओर प्रकाशित हो रही है, जिसको जानने के लिये बड़े-२ कुशलमति अपनी सूक्ष्मबुद्धि से प्रयत्न करते हैं। हे प्रभो ! हमें वह ज्ञान प्रदान कीजिये, जिससे हम आपको यथार्थरूप से जानें और आपके समीपवर्ती होकर सुख अनुभव करें ॥२०॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

महिमानं गायति।

Word-Meaning: - तद्+इत्=तदेव। यह्वम्=महत्=परमात्मरूपं महत्तेजः। रुद्रस्य=रुदन् द्रवतीति रुद्रो विद्युदादिः पदार्थः। तं रुद्रम्। द्वितीयार्थे षष्ठी। प्रत्नेषु=चिरन्तनेषु शाश्वतेषु। धामसु=आकाशात्मकेषु स्थानेषु। चेतति=चेतनं करोति=चेतनवत् कार्य्येषु व्यापारयति। यत्र=यस्मिन् इन्द्रे। विचेतसः=विशिष्टज्ञाना विद्वांसः। तच्छान्तम्। मनः=समाधिसिद्ध्यर्थम्। वि=विशेषेण। दधुर्दधति=स्थापयन्ति। तमेवेन्द्रं जनाः पूजयत ॥२०॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (रुद्रस्य) भयंकरस्य परमात्मनः (प्रत्नेषु) पुरातनेषु (धामसु) स्थानेषु (तत्, यह्वम्) सा महिमा (चेतति) जागर्ति (यत्र) यस्मिन् (विचेतसः) विद्वांसः (तद्, मनः) तच्चित्तम् (विदधुः) दधति ॥२०॥