आ ते॑ व॒त्सो मनो॑ यमत्पर॒माच्चि॑त्स॒धस्था॑त् । अग्ने॒ त्वांका॑मया गि॒रा ॥
English Transliteration
ā te vatso mano yamat paramāc cit sadhasthāt | agne tvāṁkāmayā girā ||
Pad Path
आ । ते॒ । व॒त्सः । मनः॑ । य॒म॒त् । प॒र॒मात् । चि॒त् । स॒धऽस्था॑त् । अग्ने॑ । त्वाम्ऽका॑मया । गि॒रा ॥ ८.११.७
Rigveda » Mandal:8» Sukta:11» Mantra:7
| Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:36» Mantra:2
| Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:7
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SHIV SHANKAR SHARMA
ईश्वर की स्तुति।
Word-Meaning: - (अग्ने) हे सर्वव्यापिन् पिता ! क्या यह (ते+वत्सः) तेरा कृपापात्र पुत्र (ते+मनः) तेरे मन को (परमात्+चित्) परमोत्कृष्ट (सधस्थात्) स्थान से भी (त्वां कामया) तेरी इच्छा करनेवाली (गिरा) वाणी के द्वारा (आ+यमत्) अपनी ओर खेंच सकता है ॥७॥
Connotation: - परमात्मा सर्वत्र विद्यमान है, उसको वही प्रसन्न कर सकता है, जो उसकी आज्ञाओं को बरतते हैं ॥७॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अग्ने) हे परमात्मन् ! (वत्सः) आपका रक्ष्य यह याज्ञिक (त्वां, कामया, गिरा) आपकी कामनावाली वाणी से (परमात्, सधस्थात्, चित्) परमदिव्य यज्ञस्थान से (ते, मनः, आयमत्) आपके ज्ञान को बढ़ा रहा है ॥७॥
Connotation: - हे परमात्मन् ! आपसे रक्षा किया हुआ याज्ञिक पुरुष कामनाओं को पूर्ण करनेवाली वेदवाणियों द्वारा आपके ज्ञान को विस्तृत करता अर्थात् आपके ज्ञान का प्रचार करता हुआ प्रजा को आपकी ओर आकर्षित करता है कि सब मनुष्य आपको ही पूज्य मानकर आपकी ही उपासना में प्रवृत्त हों ॥७॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
ईश्वरस्तुतिः।
Word-Meaning: - हे अग्ने=सर्वव्यापिन् ! पितः। अयं ते=तव वत्सः पुत्रः। ते=तव मनः। परमात् चित्=उत्कृष्टादपि। सधस्थात्=स्वस्थानात्। त्वां कामया=त्वामिच्छन्त्या। गिरा=वाण्या। आयमत्=स्वाभिमुखी कुर्य्यात् ॥७॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अग्ने) हे परमात्मन् ! (वत्सः) भवतो रक्ष्यः याज्ञिकः (त्वां, कामया, गिरा) त्वां कामयमानया वाचा (परमात्, सधस्थात्, चित्) दिव्यात् यज्ञस्थानात् (ते, मनः, आयमत्) तव ज्ञानं वर्धयति ॥७॥