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विप्रं॒ विप्रा॒सोऽव॑से दे॒वं मर्ता॑स ऊ॒तये॑ । अ॒ग्निं गी॒र्भिर्ह॑वामहे ॥

English Transliteration

vipraṁ viprāso vase devam martāsa ūtaye | agniṁ gīrbhir havāmahe ||

Pad Path

विप्र॑म् । विप्रा॑सः । अव॑से । दे॒वम् । मर्ता॑सः । ऊ॒तये॑ । अ॒ग्निम् । गीः॒ऽभिः । ह॒वा॒म॒हे॒ ॥ ८.११.६

Rigveda » Mandal:8» Sukta:11» Mantra:6 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:36» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:6


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः वही विषय आ रहा है।

Word-Meaning: - (विप्रासः) दूसरों के हृदयों में ज्ञानबीज बोनेवाले (मर्तासः) मरणधर्मी हम मनुष्यगण (विप्रम्) विज्ञानबीजप्रदाता (देवम्) नित्य शाश्वत दीप्तिमान् (अग्निम्) परमात्मा को (अवसे) रक्षा और (ऊतये) साहाय्य के लिये (गीर्भिः) स्वस्वभाषाओं से (हवामहे) गाते और स्तुति करते हैं ॥६॥
Connotation: - परमात्मा की स्तुति सब ही करें ॥६॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (विप्रासः, मर्तासः) विद्वान् मनुष्य हम लोग (ऊतये) तृप्ति के लिये (अवसे) और रक्षा के लिये (विप्रम्) सर्वज्ञ (देवम्) प्रकाशमान (अग्निम्) जगत् के व्यञ्जक परमात्मा का (गीर्भिः) वेदवाणी द्वारा (हवामहे) आह्वान करते हैं ॥६॥
Connotation: - उपर्युक्त गुणसम्पन्न परमात्मा को हम विद्वान् लोग वेदवाणियों द्वारा आह्वान करते अर्थात् उनके समीपी होते हैं कि वह सर्वज्ञ परमात्मा हमारी सब ओर से रक्षा करें ॥६॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तदनुवर्त्तते।

Word-Meaning: - विप्रासः=विप्राः परहृदयेषु ज्ञानबीजवपनकर्तारः। मर्त्तासः=मर्ता मरणधर्माणो वयम्। विप्रम्=ज्ञानवप्तारम्। देवम्=नित्यं शाश्वतं दीप्तिमन्तमग्निं परमात्मानम्। अवसे=अनुग्रहीतुम्। ऊतये=रक्षायै जगतः। गीर्भिः=स्वस्वभाषाभिः। हवामहे=आह्वयामः=स्तुमः ॥६॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (विप्रासः, मर्तासः) विद्वांसो मनुष्याः वयम् (ऊतये) तृप्तये (अवसे) रक्षणाय च (विप्रम्) विद्वांसम् (देवम्) द्योतमानम् (अग्निम्) जगतो व्यञ्जयितारं तम् (गीर्भिः) वेदवाग्भिः (हवामहे) आह्वयामः ॥६॥