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इरा॑वती धेनु॒मती॒ हि भू॒तं सू॑यव॒सिनी॒ मनु॑षे दश॒स्या । व्य॑स्तभ्ना॒ रोद॑सी विष्णवे॒ते दा॒धर्थ॑ पृथि॒वीम॒भितो॑ म॒यूखै॑: ॥

English Transliteration

irāvatī dhenumatī hi bhūtaṁ sūyavasinī manuṣe daśasyā | vy astabhnā rodasī viṣṇav ete dādhartha pṛthivīm abhito mayūkhaiḥ ||

Pad Path

इरा॑वती॒ इतीरा॑ऽवती । धे॒नु॒मती॒ इति॑ धे॒नु॒ऽमती॑ । हि । भू॒तम् । सु॒य॒व॒सिनी॒ इति॑ सु॒ऽय॒व॒सिनी॑ । मनु॑षे । द॒श॒स्या । वि । अ॒स्त॒भ्नाः॒ । रोद॑सी॒ इति॑ । वि॒ष्णो॒ इति॑ । ए॒ते इति॑ । दा॒धर्थ॑ । पृ॒थि॒वीम् । अ॒भितः॑ । म॒यूखैः॑ ॥ ७.९९.३

Rigveda » Mandal:7» Sukta:99» Mantra:3 | Ashtak:5» Adhyay:6» Varga:24» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:6» Mantra:3


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (विष्णो) हे व्यापक परमात्मन् ! (पृथिवीमभितः) पृथिवी के चारों ओर से (मयूखैः) अपने तेजरूप किरणों से (रोदसी) द्युलोक और पृथिवीलोक को (दाधर्थ) आपने धारण किया हुआ है, जो दोनों लोक (इरावती) ऐश्वर्य्यवाले (धेनुमती) सब प्रकार के मनोरथों को पूर्ण करनेवाले (सूयवसिनी) सर्वोपरि सुन्दर (मनुषे) मनुष्य के लिये ऐश्वर्य (दशस्या) देने के लिये आपने उत्पन्न किये हैं ॥३॥
Connotation: - यहाँ द्युलोक और पृथिवीलोक दोनों उपलक्षणमात्र हैं। वास्तव में परमात्मा ने सब लोक-लोकान्तरों को ऐश्वर्य्य के लिये उत्पन्न किया है और इस ऐश्वर्य्य के अधिकारी सत्कर्म्मी पुरुष हैं। जो लोग कर्म्मयोगी हैं, उनके लिये द्युलोक तथा पृथिवीलोक के सब मार्ग खुले हुए हैं। परमात्मा उपदेश करते हैं कि हे अधिकारी जनों ! आपके लिये यह विस्तृत ब्रह्माण्डक्षेत्र खुला है। आप इस में कर्म्मयोगद्वारा अव्याहतगति अर्थात् बिना रोक–टोक के सर्वत्र विचरें ॥३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (विष्णो) हे विभो ! (पृथिवीम्, अभितः) पृथिव्याः सर्वतः (मयूखैः) स्वतेजोमयकिरणैः (रोदसी) द्यावापृथिव्यौ (दाधर्थ) धृतवानसि, यौ चोभौ लोकौ (इरावती) ऐश्वर्यसम्पन्नौ (धेनुमती) सर्वमनोरथसाधकौ (सूयवसिनी) सर्वस्मात्सुन्दरौ (मनुषे) मनुष्याय ऐश्वर्यं दातुम् (दशस्या) उत्पादितौ भवता (वि, अस्तभ्नाः) तौ च स्वशक्त्या धारयसि ॥३॥