पी॒पि॒वांसं॒ सर॑स्वत॒: स्तनं॒ यो वि॒श्वद॑र्शतः । भ॒क्षी॒महि॑ प्र॒जामिष॑म् ॥
English Transliteration
pīpivāṁsaṁ sarasvataḥ stanaṁ yo viśvadarśataḥ | bhakṣīmahi prajām iṣam ||
Pad Path
पी॒पि॒ऽवांस॑म् । सर॑स्वतः । स्तन॑म् । यः । वि॒श्वऽद॑र्शतः । भ॒क्षी॒महि॑ । प्र॒ऽजाम् । इष॑म् ॥ ७.९६.६
Rigveda » Mandal:7» Sukta:96» Mantra:6
| Ashtak:5» Adhyay:6» Varga:20» Mantra:6
| Mandal:7» Anuvak:6» Mantra:6
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! (सरस्वतः) ब्रह्मविद्या के (स्तनम्) उस स्तन को (पीपिवांसम्) जो कि अमृत से भरा हुआ है और (यः) जो (विश्वदर्शतः) सब प्रकार के ज्ञानों को देनेवाला है अर्थात् जिसको पीकर सब प्रकार की आँखें खुलती हैं, उसको पीकर (प्रजाम् इषम्) प्रजा के सब ऐश्वर्य को (भक्षीमहि) हम भोगें ॥६॥
Connotation: - जीव प्रार्थना करता है कि हे परमात्मन् ! मैं ब्रह्मविद्या के स्तन का पान करूँ, जिस अमृत को पीकर पुरुष दिव्यदृष्टि हो जाता है और संसार के सब ऐश्वर्यों के भोगने योग्य बनता है ॥६॥ यह ९६वाँ सूक्त और २०वाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! (सरस्वतः) ब्रह्मविद्यायाः (स्तनम्) तं पयोधरं (पीपिवांसम्) यो हि अमृतेन पूर्णः पीनः (यः) यश्च (विश्वदर्शतः) सर्वविधज्ञानदाता तं पीत्वा (प्रजाम्, इषम्) प्रजामन्नादिकं च (भक्षीमहि) श्रयेम ॥६॥ इति षण्णवतितमं सूक्तं विंशो वर्गश्च समाप्तः ॥