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ता हि शश्व॑न्त॒ ईळ॑त इ॒त्था विप्रा॑स ऊ॒तये॑ । स॒बाधो॒ वाज॑सातये ॥

English Transliteration

tā hi śaśvanta īḻata itthā viprāsa ūtaye | sabādho vājasātaye ||

Pad Path

ता । हि । शश्व॑न्तः । ईळ॑ते । इ॒त्था । विप्रा॑सः । ऊ॒तये॑ । स॒ऽबाधः॑ । वाज॑ऽसातये ॥ ७.९४.५

Rigveda » Mandal:7» Sukta:94» Mantra:5 | Ashtak:5» Adhyay:6» Varga:17» Mantra:5 | Mandal:7» Anuvak:6» Mantra:5


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (सबाधः) पीड़ित हुए (वाजसातये) यज्ञों में (विप्रासः) मेधावी लोग (ऊतये) अपनी रक्षा के लिए (इत्था) इस प्रकार (शश्वन्तः) निरन्तर (ता, हि) निश्चय करके उक्त कर्मयोगी, ज्ञानयोगी की (ईळते) स्तुति करते हैं ॥५॥
Connotation: - जो लोग इस भाव से यज्ञ करते हैं कि उनकी बाधायें निवृत्त होवें, वे अपने यज्ञों में कर्मयोगी, ज्ञानयोगी विद्वानों को अवश्यमेव बुलायें, ताकि उनके सत्सङ्ग द्वारा ज्ञान और कर्म से सम्पन्न होकर सब बाधाओं को दूर कर सकें ॥५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (विप्रासः) मेधाविनः (ऊतये) स्वरक्षायै (इत्था) इत्थं (शश्वन्तः) सदैव (ता हि) निश्चयेन (सबाधः, वाजसातये) विघ्नबाधिता स्वबलाय सुखाय च (ईळते) ज्ञानयोगिनं कर्मयोगिनं च स्तुवन्ति ॥५॥