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शृ॒णु॒तं ज॑रि॒तुर्हव॒मिन्द्रा॑ग्नी॒ वन॑तं॒ गिर॑: । ई॒शा॒ना पि॑प्यतं॒ धिय॑: ॥

English Transliteration

śṛṇutaṁ jaritur havam indrāgnī vanataṁ giraḥ | īśānā pipyataṁ dhiyaḥ ||

Pad Path

शृ॒णु॒तम् । ज॒रि॒तुः । हव॑म् । इन्द्रा॑ग्नी॒ इति॑ । वन॑तम् । गिरः॑ । ई॒शा॒ना । पि॒प्य॒त॒म् । धियः॑ ॥ ७.९४.२

Rigveda » Mandal:7» Sukta:94» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:6» Varga:17» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:6» Mantra:2


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्राग्नी) हे कर्मयोगी तथा ज्ञानयोगी विद्वानों ! आप (जरितुः) जिज्ञासु लोगों के (हवं) आह्वानों को (शृणुतं) सुनें, (ईशाना) ऐश्वर्य्यसम्पन्न आप (गिरः) उनकी वाणियों को (वनतं) संस्कृत अर्थात् शुद्ध करें और उनके (धियः) कर्मों को (पिप्यतं) बढ़ायें ॥२॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करते हैं कि हे विद्वानों ! तुम अपने जिज्ञासुओं की वाणियों पर ध्यान दो और उनके कर्मों के सुधार के लिए उनको सदुपदेश दो, ताकि वे सत्कर्मी बन कर संसार का सुधार करें ॥२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्राग्नी) हे विद्वांसौ पूर्वोक्तौ ! भवन्तौ (जरितुः) जिज्ञासूनाम् (हवम्) आह्वानं (शृणुतम्) आकर्णयताम् (ईशाना) ऐश्वर्यसम्पन्ना भवन्तः (गिरः) तद्वाणीः (वनतम्) शोधयतां तथा तेषां (धियः) बुद्धीः (पिप्यतम्) वर्द्धयतां च ॥२॥