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ते स॒त्येन॒ मन॑सा॒ दीध्या॑ना॒: स्वेन॑ यु॒क्तास॒: क्रतु॑ना वहन्ति । इन्द्र॑वायू वीर॒वाहं॒ रथं॑ वामीशा॒नयो॑र॒भि पृक्ष॑: सचन्ते ॥

English Transliteration

te satyena manasā dīdhyānāḥ svena yuktāsaḥ kratunā vahanti | indravāyū vīravāhaṁ rathaṁ vām īśānayor abhi pṛkṣaḥ sacante ||

Pad Path

ते । स॒त्येन । मन॑सा । दीध्या॑नाः । स्वेन॑ । यु॒क्तासः॑ । क्रतु॑ना । व॒ह॒न्ति॒ । इन्द्र॑वायू॒ इति॑ । वी॒र॒ऽवाह॑म् । रथ॑म् । वा॒म् । ई॒शा॒नयोः॑ । अ॒भि । पृक्षः॑ । स॒च॒न्ते॒ ॥ ७.९०.५

Rigveda » Mandal:7» Sukta:90» Mantra:5 | Ashtak:5» Adhyay:6» Varga:12» Mantra:5 | Mandal:7» Anuvak:6» Mantra:5


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ARYAMUNI

अब विद्युद्विद्यावेत्ता और वायुविद्यावेत्ता दोनों प्रकार को विद्यावेत्ता विद्वानों के गुण वर्णन करते हैं।

Word-Meaning: - (इन्द्रवायू) हे विद्युत् और वायुविद्या को जाननेवाले विद्वानों ! (वाम्) आप लोगों को (ईशानाय) जो ईश्वर की विद्या जाननेवाले हैं, आपको अभी चारों ओर से (पृक्षः) ऐश्वर्य्य (सचन्ते) संगत होते हैं और आपके बनाये हुए (रथं) यान (वीरवाहम्) वीरता को प्राप्त करनेवाले होते हैं और (ते) वे (सत्येन) सत्य (मनसा) मन से (दीध्यानाः) दीप्त हुए (स्वेन युक्तासः) ऐश्वर्य्य के साथ जुड़े हुए (क्रतुना) यज्ञों द्वारा (वहन्ति) उत्तम ऐश्वर्य्य को प्राप्त कराते हैं ॥५॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करते हैं कि हे मनुष्यों ! विद्युत् विद्या के जाननेवाले तथा वायु आदि सूक्ष्म तत्त्वों के जाननेवाले विद्वान् जिन यानों को बनाते हैं, वे यान उत्तम से उत्तम ऐश्वर्यों को प्राप्त कराते हैं और वीर लोगों को नभोमण्डल में ले जानेवाले एकमात्र वही यान कहला सकते हैं, अन्य नहीं ॥५॥
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ARYAMUNI

अथ विद्युद्वाय्वोरुभयोर्विद्वांसो वर्ण्यन्ते।

Word-Meaning: - (इन्द्रवायू) हे विद्युद्विद्यावेत्तः ! वायुविद्यावेत्तश्च (वाम्) युवयोः (अभि) सर्वतः (पृक्षः) ऐश्वर्याणि (सचन्ते) सङ्गच्छन्ते तथा च भवन्निर्मितानि (रथम्) यानानि (वीरवाहम्) वीर्यवन्ति भवन्ति तथा (ते) तानि यानानि (सत्येन) यथार्थेन (मनसा) चेतना (दीध्यानाः) दीप्यमानानि (स्वेन, युक्तासः) ऐश्वर्ययुक्तानि तानि (क्रतुना) यज्ञेन (वहन्ति) दिव्यैश्वर्यं प्रापयन्ति ॥५॥