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इ॒यमिन्द्रं॒ वरु॑णमष्ट मे॒ गीः प्राव॑त्तो॒के तन॑ये॒ तूतु॑जाना । सु॒रत्ना॑सो दे॒ववी॑तिं गमेम यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥

English Transliteration

iyam indraṁ varuṇam aṣṭa me gīḥ prāvat toke tanaye tūtujānā | suratnāso devavītiṁ gamema yūyam pāta svastibhiḥ sadā naḥ ||

Pad Path

इ॒यम् । इन्द्र॑म् । वरु॑णम् । अ॒ष्ट॒ । मे॒ । गीः । प्र । आ॒व॒त् । तो॒के । तन॑ये । तूतु॑जाना । सु॒ऽरत्ना॑सः । दे॒वऽवी॑तिम् । ग॒मे॒म॒ । यू॒यम् । पा॒त॒ । स्व॒स्तिऽभिः॑ । सदा॑ । नः॒ ॥ ७.८५.५

Rigveda » Mandal:7» Sukta:85» Mantra:5 | Ashtak:5» Adhyay:6» Varga:7» Mantra:5 | Mandal:7» Anuvak:5» Mantra:5


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ARYAMUNI

अब उक्त शक्तिसम्पन्न होने के लिए परमात्मा से प्रार्थना करते हैं।

Word-Meaning: - (मे) मेरी (इयं) यह (गीः) वेदरूपवाणी (इन्द्रं, वरुणं) इन्द्र तथा वरुण की शक्ति को (अष्ट) प्राप्त हो, (तूतुजाना) यह प्रार्थनारूप वाणी (तोके, तनये) पुत्र-पौत्रों के लिए (प्र, आवत्) भले प्रकार सफल हो और हम लोग (सुरत्नासः) धनादि ऐश्वर्य्यसम्पन्न होकर (देववीतिम्) विद्वानों की यज्ञशालाओं को (गमेम) प्राप्त हों और हे परमात्मन् ! (यूयं) आप (नः) हमको (स्वस्तिभिः) आशीर्वादरूप वाणियों से (सदा) सदा (पात) पवित्र करें ॥५॥
Connotation: - हे जगदीश्वर ! हम आपकी कृपा से विद्युत् तथा वायुरूप शक्तियों की विद्या जाननेवाले विद्वानों को सदैव प्राप्त होते रहें अर्थात् ऐसी कृपा करें कि हम उन विद्वानों के सङ्ग से उक्त विद्या की  वृद्धि द्वारा अपने जीवन को उच्च बनावें और हमारा किया हुआ वेदपाठ तथा यज्ञादि सत्कर्म  हमारी सन्तानों को पवित्र करे और आप हमको मङ्गलमय वाणियों से सदैव पवित्र करते रहें, यह हम यजमानों की प्रार्थना हैं ॥५॥ यह ८५वाँ सूक्त और ७वाँ वर्ग समाप्त हुआ।
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ARYAMUNI

अथोक्तशक्त्यर्थं परमात्मनः प्रार्थ्यते।

Word-Meaning: - (मे) मदीयाम् (इयम्) इयमुच्चार्यमाणा (गीः) वेदवाक् (इन्द्रम्, वरुणम्) इन्द्रवरुणात्मकशक्तिं (अष्ट) व्याप्नोतु (तूतुजाना) मया प्रेर्यमाणेयं वाणी (तोके, तनये) पुत्रे पौत्रे च विषये (प्र, आवत्) सम्यग् रक्षतु, वयं च (सुरत्नासः) धनाद्यैश्वर्यसम्पन्नाः सन्तः (देववीतिम्) विदुषां यज्ञशालां (गमेम) गच्छेम, हे भगवन् ! (यूयम्) भवान् (नः) अस्मान् (स्वस्तिभिः) आशीर्वाग्भिः (सदा) शश्वत् (पात) रक्षतु ॥५॥ इति पञ्चाशीतितमं सूक्तं सप्तमो वर्गश्च समाप्तः ॥