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कया॑ नो अग्ने॒ वि व॑सः सुवृ॒क्तिं कामु॑ स्व॒धामृ॑णवः श॒स्यमा॑नः। क॒दा भ॑वेम॒ पत॑यः सुदत्र रा॒यो व॒न्तारो॑ दु॒ष्टर॑स्य सा॒धोः ॥३॥

English Transliteration

kayā no agne vi vasaḥ suvṛktiṁ kām u svadhām ṛṇavaḥ śasyamānaḥ | kadā bhavema patayaḥ sudatra rāyo vantāro duṣṭarasya sādhoḥ ||

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Pad Path

कया॑। नः॒। अ॒ग्ने॒। वि। व॒सः॒। सु॒ऽवृ॒क्तिम्। काम्। ऊँ॒ इति॑। स्व॒धाम्। ऋ॒ण॒वः॒। श॒स्यमा॑नः। क॒दा। भ॒वे॒म॒। पत॑यः। सु॒ऽद॒त्र॒। रा॒यः। व॒न्तारः॑। दु॒स्तर॑स्य। सा॒धोः ॥३॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:8» Mantra:3 | Ashtak:5» Adhyay:2» Varga:11» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:1» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे राजा और प्रजा के जन कैसे वर्त्तें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (सुदत्र) सुन्दर दाता (अग्ने) विद्युत् के समान ऐश्वर्य देनेवाले राजपुरुष ! (शस्यमानः) प्रशंसा को प्राप्त हुए आप (कया) किस रीति से (नः) हमको (वि, वसः) प्रवास कराते हैं (काम्, उ) किसी (सुवृक्तिम्) सुन्दर प्रकार जिस में प्राप्त हों उस नीति और (स्वधाम्) अन्न को (ऋणवः) प्रसिद्ध करो (कदा) कब (दुष्टरस्य) दुःख से तरने योग्य (साधोः) सत्पुरुष के (वन्तारः) सेवक (रायः) धन के (पतयः) स्वामी हम लोग (भवेम) होवें ॥३॥
Connotation: - हे राजन् ! यदि आप हमारा यथावत् पालन कर धनाढ्य करें तो हम भी आप सज्जन की निरन्तर उन्नति करें ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्ते राजप्रजाजनाः कथं वर्तेरन्नित्याह ॥

Anvay:

हे सुदत्राऽग्ने ! शस्यमानस्त्वं कया नो वि वसः कामु [सुवृक्तिं] स्वधामृणवः कदा दुष्टरस्य साधोर्वन्तारो रायः पतयो वयं भवेम ॥३॥

Word-Meaning: - (कया) रीत्या (नः) अस्मान् (अग्ने) विद्युद्वदैश्वर्यप्रद (वि) (वसः) निवासय (सुवृक्तिम्) सुष्ठु व्रजन्ति यस्यां नीतौ ताम् (काम्) (उ) (स्वधाम्) अन्नम् (ऋणवः) प्रसाध्नुयाः (शस्यमानः) स्तूयमानः (कदा) (भवेम) (पतयः) (सुदत्र) सुष्ठु दातः (रायः) धनस्य (वन्तारः) सम्भाजकाः (दुष्टरस्य) दुःखेन तरितुं योग्यस्य (साधोः) सत्पुरुषस्य ॥३॥
Connotation: - हे राजन् ! यदि भवानस्मान् यथावत्पालयित्वा धनाढ्यान् कुर्यास्तर्हि वयमपि तव सज्जनस्य सततमुन्नतिं कुर्य्याम ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे राजा ! जर तू आमचे यथायोग्य पालन करून धनवान केलेस तर आम्ही तुझ्यासारख्या सज्जनाची सतत वृद्धी करू. ॥ ३ ॥