Go To Mantra

दे॒वंदे॑वं॒ राध॑से चो॒दय॑न्त्यस्म॒द्र्य॑क्सू॒नृता॑ ई॒रय॑न्ती । व्यु॒च्छन्ती॑ नः स॒नये॒ धियो॑ धा यू॒यं पा॑त स्व॒स्तिभि॒: सदा॑ नः ॥

English Transliteration

devaṁ-devaṁ rādhase codayanty asmadryak sūnṛtā īrayantī | vyucchantī naḥ sanaye dhiyo dhā yūyam pāta svastibhiḥ sadā naḥ ||

Pad Path

दे॒वम्ऽदे॑वम् । राध॑से । चो॒दय॑न्ती । अ॒स्म॒द्र्य॑क् । सू॒नृताः॑ । ई॒रय॑न्ती । वि॒ऽउ॒च्छन्ती॑ । नः॒ । स॒नये॑ । धियः॑ । धाः॒ । यू॒यम् । पा॒त॒ । स्व॒स्तिऽभिः॑ । सदा॑ । नः॒ ॥ ७.७९.५

Rigveda » Mandal:7» Sukta:79» Mantra:5 | Ashtak:5» Adhyay:5» Varga:26» Mantra:5 | Mandal:7» Anuvak:5» Mantra:5


Reads times

ARYAMUNI

अब धनप्राप्ति की ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।

Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! (देवं देवं) सब श्रोताओं को (राधसे) धनप्राप्ति के लिये (चोदयन्ती) प्रेरित करें, (अस्मद्र्यक्) हम यजमानों को (सूनृताः) उत्तम वेदवाणियों की ओर (व्युच्छन्ती) उत्साहित करें और (नः) हमारी (धियः) बुद्धियों को (सनये) दान के लिये (धाः) धारण करते हुए (ईरयन्ती) उस ओर प्रेरें, जिससे हम दान में समर्थ हों और (यूयं) आप (स्वस्तिभिः) कल्याणरूप वाणियों से (नः) हमको (सदा) सदा (पात) पवित्र करें ॥५॥
Connotation: - हे दिव्यशक्तिसम्पन्न परमात्मन् ! आप अब स्तोताओं को धन-धान्यादि से भले प्रकार समृद्ध करें, ताकि वह उत्तमोत्तम वेदवाणियों द्वारा आपका सदा स्तवन करते हुए हमारी बुद्धियों को आपकी ओर प्रेरित करे और हे भगवन् ! हमें दानशील बनावें, ताकि हम उत्साहित होकर स्तोता आदि अधिकारियों को दान देनें में समर्थ हों और आप हमें सदा के लिए पवित्र करें, यह प्रार्थना है ॥५॥ यह ७९वाँ सूक्त और २६वाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
Reads times

ARYAMUNI

सम्प्रति धनप्राप्तये ईश्वरः प्रार्थ्यते।

Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! (देवम् देवम्) सर्वान्स्तोतॄन् (राधसे) धनप्राप्तये (चोदयन्ती) प्रेरयतु (अस्मद्र्यक्) अस्मदभिमुखं (सूनृताः) उत्तमवेदवाचः प्रति (व्युच्छन्ती) उत्साहयतु तथा च (नः) अस्माकं (धियः) बुद्धीः (सनये) दानाय (धाः) धारयन् (ईरयन्ती) ताः प्रति प्रेरयतु, यतो वयं प्रदाने समर्था भवेम (यूयम्) भवान् (स्वस्तिभिः) कल्याणीभिर्वाग्भिः (नः) अस्मान् (सदा) निरन्तरं (पात) रक्षतु=पुनातु ॥५॥ इत्येकोनाशीतितमं सूक्तं षड्विंशो वर्गश्च समाप्तः ॥