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आ या॑त॒मुप॑ भूषतं॒ मध्व॑: पिबतमश्विना । दु॒ग्धं पयो॑ वृषणा जेन्यावसू॒ मा नो॑ मर्धिष्ट॒मा ग॑तम् ॥

English Transliteration

ā yātam upa bhūṣatam madhvaḥ pibatam aśvinā | dugdham payo vṛṣaṇā jenyāvasū mā no mardhiṣṭam ā gatam ||

Pad Path

आ । या॒त॒म् । उप॑ । भू॒ष॒त॒म् । मध्वः॑ । पि॒ब॒त॒म् । अ॒श्वि॒ना॒ । दु॒ग्धम् । पयः॑ । मा । नः॒ । म॒र्धि॒ष्ट॒म् । आ । ग॒त॒म् ॥ ७.७४.३

Rigveda » Mandal:7» Sukta:74» Mantra:3 | Ashtak:5» Adhyay:5» Varga:21» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:5» Mantra:3


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ARYAMUNI

अब जलविद्या के जाननेवाले उपदेशकों का सत्कार कथन करते हैं।

Word-Meaning: - (अश्विना) हे अध्यापक तथा उपदेशकों ! (आयातं) आप हमारे यज्ञ को आकर (उप भूषतं) भले प्रकार सुशोभित करें, (आगतं) शीघ्र आयें, (मध्वः पिबतं) मधुरस का पान करें। (जेन्यावसू) हे धनों के जय करनेवाले आप (वृषणा) सब कामनाओं को पूर्ण करनेवाले हैं। (पयः दुग्धं) वृष्टि द्वारा दुहे हुए (नः) हमारे ऐश्वर्य्य को (मर्धिष्टं मा) हनन मत करो ॥३॥
Connotation: - हे जलविद्या के जाननेवाले अध्यापक तथा उपदेशको ! आप शीघ्र आकर हमारे यज्ञ को सुशोभित करें अर्थात् हमारे यज्ञ में पधार कर हमें जलों की विद्या में निपुण करें, ताकि हम अपने ऐश्वर्य्य को बढ़ावें। हम आपका मधु आदि उत्तमोत्तम पदार्थों से सत्कार करते हैं। आप सब कामनाओं को पूर्ण करनेवाले धन के स्वामी हैं, कृपा करके हमारे उपार्जन किये हुए धन का नाश न करें, किन्तु हमारी वृद्धि करें, जिससे हम यज्ञादि धर्मकार्यों में प्रवृत्त रहें ॥३॥
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ARYAMUNI

अथ जलविद्याविदमुपदेशकं सत्कर्तुमुपदिशति।

Word-Meaning: - (अश्विना) अध्यापकोपदेशकौ (आयातम्) मद्यज्ञम् आगत्य (उपभूषतम्) सुशोभयतम् (आगतम्) शीघ्रमागच्छतम् (मध्वः पिबतम्) मधुरसं पिबतम्। (जेन्यावसू) हे धनं जेतारौ युवां (वृषणा) सर्वकामप्रदाः स्थः। (पयः दुग्धम्) वृष्टिद्वारेण दुग्धं (नः) अस्माकमैश्वर्य्यं (मा मर्धिष्टम्) मा नीनशतम् ॥३॥