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शु॒श्रु॒वांसा॑ चिदश्विना पु॒रूण्य॒भि ब्रह्मा॑णि चक्षाथे॒ ऋषी॑णाम् । प्रति॒ प्र या॑तं॒ वर॒मा जना॑या॒स्मे वा॑मस्तु सुम॒तिश्चनि॑ष्ठा ॥

English Transliteration

śuśruvāṁsā cid aśvinā purūṇy abhi brahmāṇi cakṣāthe ṛṣīṇām | prati pra yātaṁ varam ā janāyāsme vām astu sumatiś caniṣṭhā ||

Pad Path

शु॒श्रु॒वांसा॑ । चि॒त् । अ॒श्वि॒ना॒ । पु॒रूणि॑ । अ॒भि । ब्रह्मा॑णि । च॒क्षा॒थे॒ इति॑ । ऋषी॑णाम् । प्रति॑ । प्र । या॒त॒म् । वर॑म् । आ । जना॑य । अ॒स्मे इति॑ । वा॒म् । अ॒स्तु॒ । सु॒ऽम॒तिः । चनि॑ष्ठा ॥ ७.७०.५

Rigveda » Mandal:7» Sukta:70» Mantra:5 | Ashtak:5» Adhyay:5» Varga:17» Mantra:5 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:5


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (शुश्रुवांसा, अश्विना) हे सुशिक्षित विद्वानों ! (ऋषीणां, पुरूणि, अभि, ब्रह्माणि) ऋषियों सम्बन्धी अनेक वैदिक ज्ञानों को हमारे प्रति (आ) भले प्रकार (चक्षाथे) कथन करो, (वां) तुम्हारी (चनिष्ठा, सुमतिः) अनुष्ठानिक उत्तम बुद्धि (अस्मे, जनाय) हम लोगों के लिए (अस्तु) शुभ हो और (वरं, प्रति) हमारे श्रेष्ठ यज्ञस्थान को आप (प्र, यातं) गमन करें ॥५॥
Connotation: - हे याज्ञिक लोगो ! तुम उन वेदविद्यापारग विद्वानों से यह प्रार्थना करो कि आप उन पूर्वकालिक मन्त्रद्रष्टा ऋषियों से उपलब्ध किये ज्ञान का हमें उपदेश करें, जिससे हमारी बुद्धि निष्ठायुक्त होकर वेद के गूढ भावों को ग्रहण करने योग्य हो। कृपा करके आप हमारे यज्ञीय पवित्र स्थान को सुशोभित करें, ताकि हम आपसे वेदविषयक ज्ञान श्रवण करके पवित्र भावोंवाले हों ॥५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (शुश्रुवांसा, चित्, अश्विना) हे श्रुतज्ञाना विद्वांसः ! (ऋषीणाम्) ऋषीणां सम्बन्धीनि (पुरूणि) अनेकानि (अभि, ब्रह्माणि) वैदिकज्ञानानि अस्मान् प्रति (आ) सम्यक् (चक्षाथे) निशामयत, यूयमिति शेषः, (वाम्) युष्माकं (चनिष्ठा) कमनीयतरा (सुमतिः) सुबुद्धिः (अस्मे, जनाय) मदर्थं (अस्तु) कल्याणरूपा भवतु, भवन्तः (वरम्) श्रेष्ठं अस्मदीयं यज्ञस्थानं (प्रति) प्रति (प्र, यातम्) आगच्छन्तु ॥५॥