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नरा॑ गौ॒रेव॑ वि॒द्युतं॑ तृषा॒णास्माक॑म॒द्य सव॒नोप॑ यातम् । पु॒रु॒त्रा हि वां॑ म॒तिभि॒र्हव॑न्ते॒ मा वा॑म॒न्ये नि य॑मन्देव॒यन्त॑: ॥

English Transliteration

narā gaureva vidyutaṁ tṛṣāṇāsmākam adya savanopa yātam | purutrā hi vām matibhir havante mā vām anye ni yaman devayantaḥ ||

Pad Path

नरा॑ । गौ॒राऽइ॑व । वि॒ऽद्युत॑म् । तृ॒षा॒णा । अ॒स्माक॑म् । अ॒द्य । सव॑ना । उप॑ । या॒त॒म् । पु॒रु॒ऽत्रा । हि । वा॒म् । म॒तिऽभिः॑ । हव॑न्ते । मा । वा॒म् । अ॒न्ये । नि । य॒म॒न् । दे॒व॒ऽयन्तः॑ ॥ ७.६९.६

Rigveda » Mandal:7» Sukta:69» Mantra:6 | Ashtak:5» Adhyay:5» Varga:16» Mantra:6 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:6


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (नरा) हे शूरवीर राजपुरुषो ! तुम (विद्युतं) विद्युत् के आकर्षण से आकर्षित हुई (गौरा, इव) पृथिवी के समान (तृषाणा) आकर्षित हुए (अद्य) आज (अस्माकं) हमारे (सवना, उप, यातं) इस यज्ञ को आकर प्राप्त हो, (हि) क्योंकि (वां) तुमको (पुरुत्रा) कई स्थानों में (मतिभिः, हवन्ते) बुद्धि द्वारा बोधन किया जाता है। (वाम्) तुम लोग (नि) निश्चय करके (अन्ये) किसी अन्य मार्ग में (देवयन्तः) दीन होकर (मा, यमन्) मत चलो ॥६॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करते हैं कि हे राजपुरुषो ! जिस प्रकार विद्युदादि शक्ति से आकर्षित हुआ पृथिवीमण्डल सूर्य्य की ओर खिंचा चला आता है, इसी प्रकार तुम लोग क्षात्रधर्म रूपी यज्ञ की ओर आकर्षित होकर आओ, यद्यपि तुम्हारी वासनायें तुम्हें दीन बनाने के लिए दूसरी ओर ले जाती हैं, परन्तु तुम उनसे सर्वथा पृथक् रह कर इस क्षात्र धर्म  रूप यज्ञ में ही दृढ़ रहो, क्योंकि शूरवीर क्षत्रिय ही इस यज्ञ का होता बन सकता है, अन्य भीरु तथा कातर पुरुष इस यज्ञ में आहुति देने का अधिकारी नहीं ॥६॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (नरा) हे शौर्यवन्तो राजपुरुषाः ! यूयं (विद्युतम्) विद्युता आकृष्टा (गौरा, इव) पृथिवी इव (तृषाणा) आकृष्टाः (अद्य) इदानीम् (अस्माकम्) अस्माकं (सवना) यज्ञं (उपयातम्) आगच्छत (हि) यतः (वाम्) युष्मान् (पुरुत्रा) सर्वत्र स्थले (मतिभिः, हवन्ते) बुद्धिभिर्जुह्वति (वाम्) यूयं (नि) निश्चयेन (अन्ये) अन्यस्मिन् मार्गे (देवयन्तः) अकिञ्चनाः सन्ताः (मा यमन्) मा गच्छत ॥६॥