Go To Mantra

यद॒द्य सूर॒ उदि॒तेऽना॑गा मि॒त्रो अ॑र्य॒मा । सु॒वाति॑ सवि॒ता भग॑: ॥

English Transliteration

yad adya sūra udite nāgā mitro aryamā | suvāti savitā bhagaḥ ||

Pad Path

यत् । अ॒द्य । सूरे॑ । उत्ऽइ॑ते । अना॑गाः । मि॒त्रः । अ॒र्य॒मा । सु॒वाति॑ । स॒वि॒ता । भगः॑ ॥ ७.६६.४

Rigveda » Mandal:7» Sukta:66» Mantra:4 | Ashtak:5» Adhyay:5» Varga:8» Mantra:4 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:4


Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (यत्) जो धन (अद्य) आज (सूरे, उदिते) सूर्य्य के उदय होने पर आता है, वह सब (अनागाः) निष्पाप (मित्रः) सबके प्रिय (अर्यमा) न्यायकारी (सुवाति) सर्वव्यापक (सविता) सर्वोत्पादक (भगः) ऐश्वर्य्यसम्पन्न इत्यादि गुणोंवाले परमेश्वर की कृपा से आता है ॥४॥
Connotation: - मनुष्यों को जो प्रतिदिन धन तथा ऐश्वर्य्य प्राप्त होता है, वह सब परमेश्वर की कृपा से मिलता है, मानो वह सत्कर्मियों को अपने हाथ से बाँटता है और दुष्कर्मी हाथ मलते हुए देखते रहते हैं, इसलिए भग=सर्वऐश्वर्य्यसम्पन्न परमात्मा से सत्कर्मों द्वारा उस ऐश्वर्य्य की प्रार्थना कथन की गई है कि आप कृपा करके हमें भी प्रतिदिन वह ऐश्वर्य्य प्रदान करें ॥ “भग” नाम मुख्यतया परमात्मा का और गौणीवृत्ति से ऐश्वर्य्य का भी नाम “भग” है, इसलिए ऐश्वर्य्यसम्पन्न पुरुषों और आध्यात्मिक ऐश्वर्य्यसम्पन्न ऋषि-मुनियों को भी भगवान् कहा जाता है, अन्य अर्यमादि सब नाम परमात्मा के हैं, जैसा कि पीछे भी “शं नो मित्र: शं वरुण: शन्नो भवत्वर्यमा” इत्यादि मन्त्रों से सिद्ध कर आये हैं और सब स्पष्ट है ॥४॥
Reads times

ARYAMUNI

Word-Meaning: - (यत्) यद्धनम् (अद्य) अस्मिन्दिवसे (सूरे उदिते) सूर्योदयसमये आगच्छति तत् (अनागाः) निष्पापाय भवतु (मित्रः) सर्वप्रियः (अर्यमा) न्यायकारी (सुवाति) सर्वव्यापकः भवति (सविता) सर्वोत्पादकः (भगः) ऐश्वर्यसम्पन्नः, एवंविधगुणाकरस्य परमात्मनः कृपया न्यायेन द्रव्यप्राप्तिर्भवतीति भावः ॥४॥