ता न॑: स्ति॒पा त॑नू॒पा वरु॑ण जरितॄ॒णाम् । मित्र॑ सा॒धय॑तं॒ धिय॑: ॥
English Transliteration
tā naḥ stipā tanūpā varuṇa jaritṝṇām | mitra sādhayataṁ dhiyaḥ ||
Pad Path
ता । नः॒ । स्ति॒ऽपा । त॒नू॒ऽपा । वरु॑ण । ज॒रि॒तॄ॒णाम् । मित्र॑ । सा॒धय॑तम् । धियः॑ ॥ ७.६६.३
Rigveda » Mandal:7» Sukta:66» Mantra:3
| Ashtak:5» Adhyay:5» Varga:8» Mantra:3
| Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:3
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (मित्र) हे मित्र परमात्मन् ! आप (जरितॄणां) क्षणभङ्गुर शरीरवाले मनुष्यों की (धियः) बुद्धि को (साधयतं) साधनसम्पन्न करें। (वरुण) हे वरणीय परमात्मन् ! आप (नः) हमारे (स्तिपा) घरों को पवित्र करें, क्योंकि (ता) उक्त गुणोंवाले आप (तनूपा) सब प्रकार के शरीरों को पवित्र करनेवाले हैं ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र में “तनूपा” परमात्मा से सब प्रकार की पवित्रता के लिए प्रार्थना की गई है कि हे भगवन् ! आप हमको सब प्रकार से पवित्र करें अथवा स्तिपा, तनूपा आदि सब परमात्मा के नाम हैं, जो गृहादि स्थनों को पवित्रे करे, उसका नाम “स्तिपा” और जो शरीरों को पवित्र करे, उसको “तनूपा” कहते हैं, इत्यादि नामयुक्त परमात्मा से पवित्रता की प्रार्थना करके पश्चात् विज्ञानयज्ञ में क्रियाकौशल की सिद्धि के लिए बुद्धि को साधनसम्पन्न करने की प्रार्थना की गई है ॥३॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (मित्र) हे सर्वप्रिय परमात्मन् ! भवान् (जरितॄणाम्) क्षणभङ्गुरशरीरवतां पुंसां (धियः) बुद्धीः (साधयतं) साधनवतीः करोतु। (वरुण) हे सर्ववरणीय परमात्मन् ! भवान् (नः) अस्माकं (स्तिपाः) गृहाणि पवित्रीकरोतु यतश्च (ता) उक्तगुणवान्भवान् (तनूपा) प्राणिमात्रस्योद्धारकोऽस्ति, अतो भवताहमप्युद्धरणीयः ॥३॥