दि॒वो धाम॑भिर्वरुण मि॒त्रश्चा या॑तम॒द्रुहा॑ । पिब॑तं॒ सोम॑मातु॒जी ॥
English Transliteration
divo dhāmabhir varuṇa mitraś cā yātam adruhā | pibataṁ somam ātujī ||
Pad Path
दि॒वः । धाम॑ऽभिः । व॒रु॒ण॒ । मि॒त्रः । च॒ । आ । या॒त॒म् । अ॒द्रुहा॑ । पिब॑तम् । सोम॑म् । आ॒तु॒जी इत्या॑ऽतु॒जी ॥ ७.६६.१८
Rigveda » Mandal:7» Sukta:66» Mantra:18
| Ashtak:5» Adhyay:5» Varga:11» Mantra:3
| Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:18
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (वरुणः, मित्रः) हे पूजनीय तथा परमप्रिय विद्वान् पुरुषों ! आप लोग (अद्रुहा) राग-द्वेष को त्याग कर (दिवः, धामभिः) ज्ञान से प्रकाशित हुए मार्गों से (आ, यातं) उत्साहपूर्वक आओ (च) और (आतुजी, सोमं) शान्तिप्रदान करनेवाले सोमरस को (पिबतं) पीओ ॥१८॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करते हैं कि हे ज्ञान के प्रकाश से सदा तेजस्वी तथा रागद्वेषादि भावों से रहित विद्वान् पुरुषो ! तुम यजमानों से निमन्त्रित हुए उनके पवित्र घरों में आओ और सोमादि सात्त्विक पदार्थों का सेवन करते हुए उनको पवित्र धर्म का उपदेश करो, ताकि वे गृहस्थाश्रम के नियमपालन में विचल न हों ॥१८॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (वरुणः, मित्रः) हे पूजनीयास्तथा परमप्रिया विद्वांसः, भवन्तः (अद्रुहा) द्वेषरहिताः सन्तः (दिवः, धामभिः) ज्ञानद्वारेण प्रकाशितैर्मार्गैः (आ, यातं) आगच्छन्तु (च) किञ्च (आतुजी, सोमम्) शान्तिप्रदं सोमं (पिबतं) पिबन्तु, अत्र द्विवचनं मित्रवरुणशक्तिद्वयप्राधान्यसूचनार्थं वस्तुतः सर्वे विद्वांसः सोमरसं पिबन्त्वित्यर्थः ॥१८॥