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आ रा॑जाना मह ऋतस्य गोपा॒ सिन्धु॑पती क्षत्रिया यातम॒र्वाक् । इळां॑ नो मित्रावरुणो॒त वृ॒ष्टिमव॑ दि॒व इ॑न्वतं जीरदानू ॥

English Transliteration

ā rājānā maha ṛtasya gopā sindhupatī kṣatriyā yātam arvāk | iḻāṁ no mitrāvaruṇota vṛṣṭim ava diva invataṁ jīradānū ||

Pad Path

आ । रा॒जा॒ना॒ । म॒हः॒ । ऋ॒त॒स्य॒ । गो॒पा॒ । सिन्धु॑पती॒ इति॒ सिन्धु॑ऽपती । क्ष॒त्रि॒या॒ । या॒त॒म् । अ॒र्वाक् । इळा॑म् । नः॒ । मि॒त्रा॒व॒रु॒णा॒ । उ॒त । वृ॒ष्टिम् । अव॑ । दि॒वः । इ॒न्व॒त॒म् । जी॒रऽदा॒नू॒ इति॑ जीरऽदानू ॥ ७.६४.२

Rigveda » Mandal:7» Sukta:64» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:5» Varga:6» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:2


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (राजाना) हे राजा लोगो ! तुम (महः, ऋतस्य, गोपा) बड़े सत्य के रक्षक (सिन्धुपती) सम्पूर्ण सागरप्रदेशों के पति (आ) और (क्षत्रिया) सब प्रजा को दुःखों से बचानेवाले हो (अर्वाक्, यातं) तुम शीघ्र उद्यत होकर (नः) अपने (मित्रावरुणा) अध्यापक तथा उपदेशकों की (इळां वृष्टिं) अन्न धन के द्वारा (अव) रक्षा करो (उत) और (जीरदानू) शीघ्र ही (दिवः) अपने ऐश्वर्य से (इन्वतं) इनको प्रसन्न करो ॥२॥
Connotation: - परमात्मा उपदेश करते हैं कि हे राजा लोगो ! तुम सदा सत्य का पालन करो और एकमात्र सत्य पर ही अपने राज्य का निर्भर रक्खो, सब प्रजावर्ग को दुःखों से बचाने का प्रयत्न करो और अपने देश में विद्याप्रचार तथा धर्मप्रचार करनेवाले विद्वानों का धनादि से सत्कार करो, ताकि तुम्हारा ऐश्वर्य प्रतिदिन वृद्धि को प्राप्त हो ॥२॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (राजाना) हे प्रजापालकजना भवन्तः (महः, ऋतस्य) महतः सत्यस्य (गोपा) रक्षकाः (सिन्धुपती) सर्वसिन्धुप्रदेशानां पतयः (क्षत्रियाः) प्रजारक्षकाः (अर्वाक्, यातं) शीघ्रमागत्य (नः) अस्माकं  (मित्रावरुणा) अध्यापकोपदेशकयोः (इळां, वृष्टिं) अन्यसाधनस्य च पुष्टिद्वारेण (अव) रक्षन्तु भवन्तः, अन्यच्च (जीरदानू) शीघ्रमेव (दिवः) द्युलोकस्य ऐश्वर्य्येण (इन्वतं) वर्धयन्तु ॥२॥