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इ॒मे चे॒तारो॒ अनृ॑तस्य॒ भूरे॑र्मि॒त्रो अ॑र्य॒मा वरु॑णो॒ हि सन्ति॑। इ॒म ऋ॒तस्य॑ वावृधुर्दुरो॒णे श॒ग्मासः॑ पु॒त्रा अदि॑ते॒रद॑ब्धाः ॥५॥

English Transliteration

ime cetāro anṛtasya bhūrer mitro aryamā varuṇo hi santi | ima ṛtasya vāvṛdhur duroṇe śagmāsaḥ putrā aditer adabdhāḥ ||

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Pad Path

इ॒मे। चे॒तारः॑। अनृ॑तस्य। भूरेः॑। मि॒त्रः। अ॒र्य॒मा। वरु॑णः। हि। सन्ति॑। इ॒मे। ऋ॒तस्य॑। व॒वृ॒धुः॒। दु॒रो॒णे। श॒ग्मासः॑। पु॒त्राः। अदि॑तेः। अद॑ब्धाः ॥५॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:60» Mantra:5 | Ashtak:5» Adhyay:5» Varga:1» Mantra:5 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वानो ! जैसे (इमे) ये (मित्रः) सर्व मित्र (अर्यमा) न्यायकारी और (वरुणः) जल के सदृश पालक (भूरेः) बहुत प्रकार के (अनृतस्य) मिथ्या वस्तु के (चेतारः) उत्तम प्रकार ज्ञानयुक्त वा जनानेवाले (सन्ति) हैं और (इमे) जो (हि) निश्चित (शग्मासः) बहुत सुख से युक्त (अदितेः) अखण्डित न नष्ट होनेवाली के (पुत्राः) पुत्र (अदब्धाः) नहीं हिंसा करनेवाले (दुरोणे) गृह में बहुत प्रकार के (ऋतस्य) सत्य वस्तु के विज्ञान को (वावृधुः) बढ़ाते हैं, इससे वे सत्कार करने योग्य हैं ॥५॥
Connotation: - जो पूर्ण विद्यायुक्त होते हैं, वे ही सत्य और असत्य के जाननेवाले होते हैं ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वांसः किं कुर्युरित्याह ॥

Anvay:

हे विद्वांसो ! यथेमे मित्रोऽर्यमा वरुणश्च भूरेरनृतस्य चेतारस्सन्तीमे हि शग्मास अदितेः पुत्रा अदब्धा दुरोणे भूरेर्ऋतस्य विज्ञानं वावृधुस्तस्मात्ते सत्कर्तव्यास्सन्ति ॥५॥

Word-Meaning: - (इमे) (चेतारः) सम्यग्ज्ञानयुक्ता विज्ञापकाः (अनृतस्य) मिथ्यावस्तुनः (भूरेः) बहुविधस्य (मित्रः) सर्वसुहृत् (अर्यमा) न्यायकारी (वरुणः) जलमिव पालकः (हि) (सन्ति) (इमे) (ऋतस्य) सत्यस्य वस्तुनो व्यवहारस्य वा (वावृधुः) वर्धयन्ति। अत्राभ्यासदैर्घ्यम्। (दुरोणे) गृहे (शग्मासः) बहुसुखयुक्ताः (पुत्राः) (अदितेः) अखण्डितस्य (अदब्धाः) अहिंसकाः ॥५॥
Connotation: - ये पूर्णविद्या भवन्ति त एव सत्याससत्यप्रज्ञापका जायन्ते ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे पूर्ण विद्यायुक्त असतात तेच सत्य व असत्याचे जाणकार असतात. ॥ ५ ॥