Go To Mantra

आ च॑ नो ब॒र्हिः सद॑तावि॒ता च॑ नः स्पा॒र्हाणि॒ दात॑वे॒ वसु॑। अस्रे॑धन्तो मरुतः सो॒म्ये मधौ॒ स्वाहे॒ह मा॑दयाध्वै ॥६॥

English Transliteration

ā ca no barhiḥ sadatāvitā ca naḥ spārhāṇi dātave vasu | asredhanto marutaḥ somye madhau svāheha mādayādhvai ||

Pad Path

आ। चः॒। नः॒। ब॒र्हिः। सद॑त। अ॒वि॒त। च॒। नः॒। स्पा॒र्हाणि॑। दात॑वे। वसु॑। अस्रे॑धन्तः। म॒रु॒तः॒। सो॒म्ये। मधौ॑। स्वाहा॑। इ॒ह। मा॒द॒या॒ध्वै॒ ॥६॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:59» Mantra:6 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:29» Mantra:6 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:6


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वानों को क्या करना चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (वसु) द्रव्य का (अस्रेधन्तः) नहीं नाश करते हुए (मरुतः) मनुष्यो ! आप लोग (नः) हम लोगों के (स्पार्हाणि) कामना करने योग्य पदार्थों को (च) निश्चित (दातवे) देने के लिये हम लोगों के (बर्हिः) उत्तम बड़े गृह में (आ, सदत) बैठिये (नः, च) और हम लोगों की (अवित) रक्षा कीजिये (इह) इस लोक में (स्वाहा) सत्य क्रिया से (सोम्ये) सोमलता के सदृश आनन्द करनेवाले (मधौ) मधुर रस में (मादयाध्वै) आनन्द कीजिये ॥६॥
Connotation: - हे विद्वानो ! आप लोग सब मनुष्यों के लिये विद्या देने को प्रवृत्त हूजिये, विद्या ही से इनकी रक्षा कीजिये और ऐश्वर्य्य सब के लिये बढ़ाइये ॥६॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वद्भिः किं कर्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे वस्वस्रेधन्तो मरुतो ! यूयं नो स्पार्हाणि च दातवेऽस्माकं बर्हिरा सदत नोऽस्माँश्चावितेह स्वाहा सोम्ये मधौ मादयाध्वै ॥६॥

Word-Meaning: - (आ) (च) अथार्थे (नः) अस्माकम् (बर्हिः) उत्तमं बृहद्गृहम् (सदत) उपविशत (अविता) प्रविशत रक्षत। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (च) (नः) अस्मभ्यम् (स्पार्हाणि) स्पृहणीयानि कमनीयानि (दातवे) दातुं (वसु) द्रव्यम् (अस्रेधन्तः) अहिंसन्तः (मरुतः) मनुष्याः (सोम्ये) सोम इवानन्दकरे (मधौ) मधुरे (स्वाहा) सत्यया क्रियया (इह) अस्मिन् लोके (मादयाध्वै) ॥६॥
Connotation: - हे विद्वांसो ! यूयं सर्वेभ्यो मनुष्येभ्यो विद्यां दातुं प्रवर्त्तध्वं विद्ययैवैषां रक्षां विधत्तैश्वर्यं सर्वार्थं वर्धयत ॥६॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे विद्वानांनो! तुम्ही लोक सर्व माणसांना विद्या देण्यास प्रवृत्त व्हा. विद्येने त्यांचे रक्षण करा व सर्वांसाठी ऐश्वर्य वाढवा. ॥ ६ ॥