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न॒हि व॑श्चर॒मं च॒न वसि॑ष्ठः परि॒मंस॑ते। अ॒स्माक॑म॒द्य म॑रुतः सु॒ते सचा॒ विश्वे॑ पिबत का॒मिनः॑ ॥३॥

English Transliteration

nahi vaś caramaṁ cana vasiṣṭhaḥ parimaṁsate | asmākam adya marutaḥ sute sacā viśve pibata kāminaḥ ||

Pad Path

न॒हि। वः॒। च॒र॒मम्। च॒न। वसि॑ष्ठः। प॒रि॒ऽमंस॑ते। अ॒स्माक॑म्। अ॒द्य। म॒रु॒तः॒। सु॒ते। सचा॑। विश्वे॑। पि॒ब॒त॒। का॒मिनः॑ ॥३॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:59» Mantra:3 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:29» Mantra:3 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वानो (कामिनः) कामना करनेवाले (विश्वे) सम्पूर्ण (मरुतः) मनुष्य ! आप लोग (सचा) सम्बन्ध से (अद्य) इस समय (अस्माकम्) हम लोगों के (सुते) उत्पन्न हुए बड़ी ओषिधियों के रस में रस को (पिबत) पीवें जिससे (वः) आप लोगों के (चरमम्) अन्तवाले को (चन) भी (वसिष्ठः) अतिशय वसानेवाला (नहि) नहीं (परिमंसते) त्यागने योग्य वा विरुद्ध परिणाम को प्राप्त होता है ॥३॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो आप लोग इच्छा की सिद्धि करने की इच्छा करें तो योग्य आहार और विहार जिसमें उस ब्रह्मचर्य्य को करिये ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्याः किं कुर्युरित्याह ॥

Anvay:

हे विद्वांसः कामिनो विश्वे मरुतो ! यूयं सचाद्यास्माकं सुते रसं पिबत यतो वश्चरमं चन वसिष्ठो नहि परिमंसते ॥३॥

Word-Meaning: - (नहि) निषेधे (वः) युष्माकम् (चरमम्) अन्तिमम् (चन) अपि (वसिष्ठः) अतिशयेन वासयिता (परिमंसते) वर्जनीयं विरुद्धं वा परिणमति (अस्माकम्) (अद्य) (मरुतः) मनुष्याः (सुते) निष्पन्ने महौषधिरसे (सचा) सम्बन्धेन (विश्वे) सर्वे (पिबत) (कामिनः) कामयितारः ॥३॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यदि यूयमिच्छासिद्धिं चिकीर्षेयुस्तर्हि युक्ताहारविहारं ब्रह्मचर्यं कुरुत ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जर तुम्हाला इच्छा सिद्धी व्हावी असे वाटत असेल तर योग्य आहार, विहार, ब्रह्मचर्यपालन करा. ॥ ३ ॥