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यु॒ष्माकं॑ देवा॒ अव॒साह॑नि प्रि॒य ई॑जा॒नस्त॑रति॒ द्विषः॑। प्र स क्षयं॑ तिरते॒ वि म॒हीरिषो॒ यो वो॒ वरा॑य॒ दाश॑ति ॥२॥

English Transliteration

yuṣmākaṁ devā avasāhani priya ījānas tarati dviṣaḥ | pra sa kṣayaṁ tirate vi mahīr iṣo yo vo varāya dāśati ||

Pad Path

यु॒ष्माक॑म्। देवाः॑। अव॑सा। अह॑नि। प्रि॒ये। ई॒जा॒नः। त॒र॒ति॒। द्विषः॑। प्र। सः। क्षय॑म्। ति॒र॒ते॒। वि। म॒हीः। इषः॑। यः। वः॒। वरा॑य। दाश॑ति ॥२॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:59» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:29» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् मनुष्य क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (देवाः) विद्वान् जनो ! (यः) जो (ईजानः) यजमान (अवसा) रक्षण आदि से (द्विषः) द्वेष करनेवालों का (तरति) उल्लङ्घन करता है और (प्रिये) प्रीति करनेवाले (अहनि) दिन में (युष्माकम्) आप लोगों के प्रिय को सिद्ध करता है और जो (महीः) भूमियों का उत्तम प्रकार शिक्षित वाणियों वा (इषः) अन्नादिकों (वः) आप लोगों के अर्थ (वराय) श्रेष्ठत्व के लिये (प्र, दाशति) देता है (सः) वह (क्षयम्) निवास को (प्र,वि, तिरते) बढ़ाता है ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो दुष्टता के दूर करनेवाले, सब की रक्षा करनेवाले, विद्या आदि ऐश्वर्य्य के देनेवाले और सुख से सर्वदा वसानेवाले विद्वान् हों, उन्हीं की सेवा और मेल कर के विद्याओं को प्राप्त हूजिये ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वांसः किं कुर्य्युरित्याह ॥

Anvay:

हे देवा ! य ईजानोऽवसा द्विषस्तरति प्रियेऽहनि युष्माकं प्रियं साध्नोति यो महीरिषो वो वराय प्र दाशति स क्षयं प्र वि तिरते ॥२॥

Word-Meaning: - (युष्माकम्) (देवाः) विद्वांसः (अवसा) रक्षणादिना (अहनि) दिने (प्रिये) कमनीये प्रीतिकरे (ईजानः) (तरति) उल्लङ्घते (द्विषः) द्वेष्टॄन् (प्र) (सः) (क्षयम्) निवासम् (तिरते) वर्धयति (वि) (महीः) भूमीः सुशिक्षिता वाचो वा (इषः) अन्नाद्याः (यः) (वः) युष्मान् (वराय) श्रेष्ठत्वाय (दाशति) ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्या ! ये दुष्टतानिवारकास्सर्वेषां रक्षका विद्याद्यैश्वर्यप्रदाः सुखेन सर्वदा वासयितारो विद्वांसः स्युस्तानेव सेवयित्वा सङ्गत्य प्राप्नुत ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो ! जे दुष्टांचे निवारक, सर्व रक्षक, विद्या ऐश्वर्यप्रद, सुखाने वसविणारे विद्वान असतील तर त्यांची सेवा व संग करून विद्या प्राप्त करा. ॥ २ ॥