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ज॒नूश्चि॑द्वो मरुतस्त्वे॒ष्ये॑ण॒ भीमा॑स॒स्तुवि॑मन्य॒वोऽया॑सः। प्र ये महो॑भि॒रोज॑सो॒त सन्ति॒ विश्वो॑ वो॒ याम॑न्भयते स्व॒र्दृक् ॥२॥

English Transliteration

janūś cid vo marutas tveṣyeṇa bhīmāsas tuvimanyavo yāsaḥ | pra ye mahobhir ojasota santi viśvo vo yāman bhayate svardṛk ||

Pad Path

ज॒नूः। चि॒त्। वः॒। म॒रु॒तः॒। त्वे॒ष्ये॑ण। भीमा॑सः। तुवि॑ऽमन्यवः। अया॑सः। प्र। ये। महः॑ऽभिः। ओज॑सा। उ॒त। सन्ति॑। विश्वः॑। वः॒। याम॑न्। भ॒य॒ते॒। स्वः॒ऽदृक् ॥२॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:58» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:28» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर कौन नहीं विश्वास करने योग्य हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (मरुतः) पवनों के समान मनुष्यो ! (ये) जो (महोभिः) बड़े पराक्रमों वा गुणों के और (ओजसा) बल (त्वेष्येण) प्रकाश में हुए के साथ वर्त्तमान (भीमासः) डरते हैं जिन से वे (तुविमन्यवः) बहुत क्रोधयुक्त (अयासः) जानने वा जानेवाले जन (वः) आप लोगों को (जनूः) स्वभाव (प्रसन्ति) प्रकाश करते हुए हैं और (उत) भी जो (विश्वः) सम्पूर्ण (स्वर्दृक्) सुख को देखनेवाला मनुष्य (यामन्) लाते हैं जिससे वा जिस में उस में (वः) आप लोगों को (भयते) भय देता है उनको और उस को (चित्) भी आप लोग जान कर युक्ति से सेवा करिये ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे विद्वान् मनुष्यो ! जो भयङ्कर मनुष्य आदि प्राणी हैं, उनका विश्वास नहीं करके उन को बड़े बल और पराक्रम से वश में करिये ॥ २ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः के अविश्वसनीया इत्याह ॥

Anvay:

हे मरुतो ! ये महोभिरोजसा त्वेष्येण सह वर्त्तमानाः भीमासस्तुविमन्यवोऽयासो वो युष्माकं जनूः प्रसन्त्युत यो विश्वः स्वर्दृग्जनो यामन् वो भयते ताँस्तं चिद्यूयं विज्ञाय युक्त्या सेवध्वम् ॥२॥

Word-Meaning: - (जनूः) जनन्यः प्रकृतयः (चित्) अपि (वः) युष्माकम् (मरुतः) वायव इव मनुष्याः (त्वेष्येण) त्विषि प्रदीपने भवेन (भीमासः) बिभ्यति येभ्यस्ते (तुविमन्यवः) बहुक्रोधाः (अयासः) ज्ञातारो गन्तारो वा (प्र) प्रकाशयन्तः (ये) (महोभिः) महद्भिः पराक्रमैर्गुणैर्वा (ओजसा) बलेन सह (उत) अपि (सन्ति) (विश्वः) सर्वः (वः) युष्मान् (यामन्) यान्ति येन यस्मिन् वा तस्मिन् (भयते) भयं करोति (स्वर्दृक्) यः स्वः सुखं पश्यति सः ॥२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे विद्वांसो मनुष्याः ! ये भयङ्करा मनुष्यादयः प्राणिनः सन्ति तेषां विश्वासमकृत्वा तान् महता बलेन पराक्रमेण च वशं नयत ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे विद्वान माणसांनो ! जी भयंकर माणसे असतात त्यांच्यावर विश्वास न ठेवता त्यांना मोठ्या बल व पराक्रमाने वश करून ठेवावे. ॥ २ ॥