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नि॒चे॒तारो॒ हि म॒रुतो॑ गृ॒णन्तं॑ प्रणे॒तारो॒ यज॑मानस्य॒ मन्म॑। अ॒स्माक॑म॒द्य वि॒दथे॑षु ब॒र्हिरा वी॒तये॑ सदत पिप्रिया॒णाः ॥२॥

English Transliteration

nicetāro hi maruto gṛṇantam praṇetāro yajamānasya manma | asmākam adya vidatheṣu barhir ā vītaye sadata pipriyāṇāḥ ||

Pad Path

नि॒चे॒तारः॑। हि। म॒रुतः॑। गृ॒णन्त॑म्। प्रऽने॒तारः॑। यज॑मानस्य। मन्म॑। अ॒स्माक॑म्। अ॒द्य। वि॒दथे॑षु। ब॒र्हिः। आ। वी॒तये॑। स॒द॒त॒। पि॒प्रि॒या॒णाः ॥२॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:57» Mantra:2 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:27» Mantra:2 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे विद्वान् कैसे होवें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वान् जनो ! (हि) जिस कारण (निचेतारः) समूह करनेवाले (मरुतः) पवन सब को प्रेरित करते हैं, उस कारण (प्रणेतारः) अच्छे न्याय को करते हुए जन (यमजानस्य) सब के सुख के लिये यज्ञ करनेवाले के (मन्म) विज्ञान को (अस्माकम्) हम लोगों के (विदथेषु) यज्ञों में (गृणन्तम्) स्तुति करते हुए को (पिप्रियाणाः) प्रसन्न करते हुए (अद्य) आज (वीतये) विज्ञान वा प्राप्ति के लिये (बर्हिः) अन्तरिक्ष में स्थित उत्तम आसन पर (आ, सदत) बैठिये ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! आप लोग सम्पूर्ण पदार्थों के रचनेवाले पवनों के समूह को जान कर सब के प्रिय को सिद्ध करो ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्ते विद्वांसः कीदृशा भवेयुरित्याह ॥

Anvay:

हे विद्वांसो ! हि निचेतारो मारुतः सर्वान् प्रेरयन्ति ततः प्रणेतारस्सन्तो यजमानस्य मन्मास्माकं विदथेषु गृणन्तं पिप्रियाणाः अद्य वीतये बर्हिरासदत ॥२॥

Word-Meaning: - (निचेतारः) ये निचयं समूहं कुर्वन्ति ते (हि) यतः (मरुतः) वायवः (गृणन्तम्) स्तुवन्तम् (प्रणेतारः) प्रकृष्टं न्यायं कुर्वन्तः (यजमानस्य) सर्वेषां सुखाय यज्ञकर्तुः (मन्म) विज्ञानम् (अस्माकम्) (अद्य) अस्मिन् (विदथेषु) यज्ञेषु (बर्हिः) अन्तरिक्षस्थमुत्तममासनम् (आ) (वीतये) विज्ञानाय प्राप्तये वा (सदत) आसीदत (पिप्रियाणाः) प्रियमाणाः ॥२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे मनुष्या ! यूयं सर्वेषां पदार्थानां संधातारं मरुद्गणं विज्ञाय सर्वेषां प्रियं साध्नुवन्तु ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! तुम्ही संपूर्ण पदार्थांची निर्मिती करणाऱ्या वायूच्या समूहाला जाणून सर्वांचे प्रिय व्हा. ॥ २ ॥