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मध्वो॑ वो॒ नाम॒ मारु॑तं यजत्राः॒ प्र य॒ज्ञेषु॒ शव॑सा मदन्ति। ये रे॒जय॑न्ति॒ रोद॑सी चिदु॒र्वी पिन्व॒न्त्युत्सं॒ यदया॑सुरु॒ग्राः ॥१॥

English Transliteration

madhvo vo nāma mārutaṁ yajatrāḥ pra yajñeṣu śavasā madanti | ye rejayanti rodasī cid urvī pinvanty utsaṁ yad ayāsur ugrāḥ ||

Pad Path

मध्वः॑। वः॒। नाम॑। मारु॑तम्। य॒ज॒त्राः॒। प्र। य॒ज्ञेषु॑। शव॑सा। म॒द॒न्ति॒। ये। रे॒जय॑न्ति। रोद॑सी॒ इति॑। चि॒त्। उ॒र्वी इति॑। पिन्व॑न्ति। उत्स॑म्। यत्। अया॑सुः। उ॒ग्राः ॥१॥

Rigveda » Mandal:7» Sukta:57» Mantra:1 | Ashtak:5» Adhyay:4» Varga:27» Mantra:1 | Mandal:7» Anuvak:4» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्य किसके सदृश क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (यजत्राः) मिलनेवाले ! (ये) जो (उग्राः) तेजस्वी बिजुली के सहित पवन (यत्) जो (उर्वी) बहुत पदार्थों से युक्त (रोदसी) अन्तरिक्ष पृथिवी और (उत्सम्) कूप को जैसे वैसे सम्पूर्ण संसार को (पिन्वन्ति) सींचते हैं और (चित्) भी (रेजयन्ति) कम्पाते हैं (अयासुः) प्राप्त होवें उसको (ये) जो (वः) आप लोगों को (मध्वः) मानते हुए (नाम) प्रसिद्ध (यज्ञेषु) विद्वानों के सत्कार आदिकों में (शवसा) बल से (मारुतम्) मनुष्यों के कर्म की (प्र, मदन्ति) कामना करते हैं, उनको आप लोग जानिये ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो पवन, भूगोलों को घुमाते और धारण करते हैं और वृष्टियों से सीचते हैं, उनको जान कर विद्वान् जन कार्यों को कर के आनन्द करें ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्याः किंवत् किं कुर्युरित्याह ॥

Anvay:

हे यजत्रा ! य उग्रा विद्युत्सहिता वायवो यद्ये उर्वी रोदसी उत्समिव सर्वं जगत् पिन्वन्ति चिदपि रेजयन्त्ययासुस्तद्वद्ये वो मध्वो नाम यज्ञेषु शवसा मारुतं प्रमदन्ति तान् यूयं विजानीत ॥१॥

Word-Meaning: - (मध्वः) मन्यमानाः (वः) युष्माकम् (नाम) (मारुताम्) मरुतां मनुष्याणामिदं कर्म (यजत्राः) सङ्गन्तारः (प्र) (यज्ञेषु) विद्वत्सत्कारादिषु (शवसा) बलेन (मदन्ति) कामयन्ते (ये) (रेजयन्ति) कम्पयन्ति (रोदसी) द्यावापृथिव्यौ (चित्) अपि (उर्वी) बहुपदार्थयुक्ते (पिन्वन्ति) सिञ्चन्ति (उत्सम्) कूपमिव (यत्) ये (अयासुः) प्राप्नुयुः (उग्राः) तेजस्विनः ॥१॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये वायवो भूगोलान् भ्रामयन्ति धरन्ति वृष्टिभिस्सिञ्चन्ति तान् विदित्वा विद्वांसः कार्याणि निष्पाद्यानन्दन्तु ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात वायूप्रमाणे विद्वानाच्या गुणांचे व कर्माचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जे वायू भूगोलांना भ्रमण करवितात व धारण करवितात आणि वृष्टीने सिंचन करवितात त्यांना जाणून विद्वान लोकांनी कार्य करून आनंदात राहावे. ॥ १ ॥