अ॒स्मे वी॒रो म॑रुतः शु॒ष्म्य॑स्तु॒ जना॑नां॒ यो असु॑रो विध॒र्ता। अ॒पो येन॑ सुक्षि॒तये॒ तरे॒माध॒ स्वमोको॑ अ॒भि वः॑ स्याम ॥२४॥
asme vīro marutaḥ śuṣmy astu janānāṁ yo asuro vidhartā | apo yena sukṣitaye taremādha svam oko abhi vaḥ syāma ||
अ॒स्मे इति॑। वी॒रः। म॒रु॒तः॒। शु॒ष्मी। अ॒स्तु॒। जना॑नाम्। यः। असु॑रः। वि॒ऽध॒र्ता। अ॒पः। येन॑। सु॒ऽक्षि॒तये॑। तरे॑म। अध॑। स्वम्। ओकः॑। अ॒भि। वः॒। स्या॒म॒ ॥२४॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर वे मनुष्य कैसे होवें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्ते मनुष्याः कीदृशा भवेयुरित्याह ॥
हे मरुतो ! यो वीरोऽसुरो जनानां विधर्ता सोऽस्मे शुष्म्यस्तु येन सुक्षितये वयमपस्तरेमाऽध स्वमोकोऽभितरेम वो युष्माकं रक्षकाः स्याम ॥२४॥
MATA SAVITA JOSHI
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